ल्हासा की ओर(प्रश्नोत्तर)
ल्हासा की ओर
--राहुल सांकृत्यायन
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर: ल्हासा से लौटते समय लेखक भद्र वेश में थे, परंतु इस बार सुमति उनके साथ नहीं थे। इसके अलावा स्थानीय लोग शाम के वक्त शराब पीकर अपना होश-हवास भी खो बैठे थे। इसलिए लेखक का भद्र वेश भी ठहरने के लिए उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका।
प्रश्न 2: उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर: उस समय के तिब्बत में हथियार संबंधी कोई कानून न रहने के कारण लोग लाठी की तरह खुलेआम पिस्तौल, बंदूक आदि लिए फिरते थे। इसके अलावा डाकू यहाँ पहले यात्रियों को मार डालते थे, फिर देखते थे कि उनके पास पैसे हैं या नहीं। अतः यात्रियों को हर वक्त लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था।
प्रश्न 3: लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर: लेखक का घोड़ा अत्यंत सुस्त स्वभाव का था। इसके अलावा वे रास्ता भटक कर एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर भी चले गए थे। इसलिए लङ्कोर के मार्ग में लेखक अपने साथियों से पिछड़ गए।
प्रश्न 4: लेखक ने शेकर विहार में सुमति को अपने यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर: दूसरी बार लेखक को मंदिर में रखी अनेक हस्तलिखित पुस्तकें मिल गई थीं। वह एकांत में उन पुस्तकों का अध्ययन करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस बार सुमति को यजमानों के पास जाने से नहीं रोका।
प्रश्न 5: अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: अपनी यात्रा के दौरान लेखक को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। डाँड़े अथवा पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए घोड़े लेने पड़े। निर्जन स्थानों में हथियारधारी चोर-डाकुओं का डर बना रहा। यात्रा से लौटते समय भद्र वेश में रहते हुए भी उन्हें रहने के लिए अच्छी जगह नहीं मिली। भरिया न मिलने के कारण भारी सामानों को खुद ढोकर चलना पड़ा। भिखमंगे के वेश में यात्रा करनी पड़ी, आदि।
प्रश्न 6: प्रस्तुत यात्रा-वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर: उस समय के तिब्बती समाज में छुआछूत की प्रथा नहीं थी। स्त्रियों में पर्दा-प्रथा भी नहीं थी। वहाँ के निवासी अपरिचित मुसाफिरों तक पर विश्वास करते थे। हथियार संबंधी कोई कानून नहीं था। निर्जन स्थानों में लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था। वहाँ के निवासी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। धर्मगुरुओं पर वे अत्यंत आस्था प्रकट करते थे।
प्रश्न 7: 'मैं अब पुस्तकों के भीतर था।' यह कथन किसका है? कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कथन लेखक राहुल सांकृत्यायन का है। कथन का आशय यह है कि लेखक पुस्तक पढ़ने में व्यस्त थे।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8: सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर: लगभग हर गाँव में सुमति के यजमान और परिचित लोगों के मिलने के आधार पर हम उनके बारे में यह अनुमान लगा सकते हैं कि वे अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति होंगे। उनके व्यवहार में लोगों के प्रति शायद काफी आत्मीयता होगी और प्रेम भरी भावना होगी। एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में वे हर कहीं काफी प्रतिष्ठित होंगे।
प्रश्न 9: 'हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।'-- उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेश-भूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर: किसी व्यक्ति के प्रति हमारे व्यवहार का आधार उस व्यक्ति के व्यक्तित्व, गुण-अवगुण और अन्य चारित्रिक एवं व्यवहारगत विशेषताएँ आदि होनी चाहिए, उनकी वेश-भूषा नहीं। सम्मान हमेशा गुणों का होता है। वेश-भूषा, आभूषण, प्रसाधन आदि तो बाहरी आवरण हैं जो किसी के वास्तविक व्यक्तित्व को स्पष्ट नहीं करते।
प्रश्न 10: यात्रा-वृतांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: तिब्बत पहाड़ी इलाकों से भरा एक सुंदर सा भू-भाग है। हिमालय की सफेदी और हरियाली से पूर्ण चोटियाँ हमेशा यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अनुपम है। परंतु मुश्किल भौगोलिक बनावट के कारण यहाँ की यात्रा करना बहुत कठिन है।
समतल अथवा मैदानी क्षेत्र, परिकल्पित सड़कें, व्यवस्थित यातायात, ऊँचे और सुंदर भवन, घनी आबादी आदि के साथ-साथ कल-कारखाने, प्रदूषण, यंत्रवत व्यस्त जीवन, वातावरण में प्राकृतिक सुंदरता का अभाव आदि हमारे शहर को तिब्बत से बिल्कुल अलग करते हैं।
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