अनुच्छेद लेखन/कक्षा: दस
अनुच्छेद लेखन
1: टेलीविजन को लत न बनाएँ
'लत' -- शब्द उन आदतों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो आदतें अच्छी नहीं मानी जातीं। आजकल टेलीविजन देखना भी 'लत' बनता जा रहा है। यदि बच्चे निश्चित समय तक शिक्षा प्रदान करने वाले कार्यक्रम देखें तो कोई बात नहीं, लेकिन मध्यवर्गीय और उच्च मध्यवर्गीय परिवारों में टेलीविजन मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन बन गया है। जब घर में टेलीविजन चलता है तो बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय उससे ही चिपक जाते हैं और इसकी इस लत का दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई-लिखाई पर तो पड़ता ही है साथ ही उनके स्वास्थ्य, स्वभाव और आचार-विचार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस संदर्भ में माता-पिता तथा अन्य बड़ों को स्वयं पर नियंत्रण रखना होगा तभी वह अपने बच्चों को टेलीविजन की लत से मुक्त कर सकते हैं।
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2: ग्लोबल वार्मिंग
'ग्लोबल वार्मिंग' का तात्पर्य भूमंडल के दिन-प्रतिदिन बढ़ते तापमान से है। विगत कुछ वर्षों से तापमान में भयंकर वृद्धि होती जा रही है। वायुमंडल का तापमान यदि इसी प्रकार से बढ़ता रहा तो मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है -- सूर्य के चारों ओर व्याप्त 'ओजोन लेयर' का क्षरण। ओजोन की परत सूर्य के ताप को रोकती है, लेकिन जब से ओजोन लेयर में दरार पड़ी है पृथ्वी का तापमान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। वायुमंडल में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा भी वृद्धि हो रही है। यदि यह प्रक्रिया सीमा लाँघ गई तो पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो जाएगी। अतः ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को टालने के लिए विश्व के सभी देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे। प्रत्येक देश को कम ऊर्जा वाले उपकरणों के प्रयोग पर बल देना होगा।
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3: करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
किसी रचनात्मक कार्य को करने के लिए शास्त्रों ने तीन गुण बताए हैं -- प्रतिभा, व्युत्पत्ति अथवा अध्ययन और अभ्यास। प्रतिभा तो ईश्वरीय देन है। व्युत्पत्ति का संबंध शास्त्र ज्ञान से है। जो व्यक्ति जितना अधिक अध्ययन करेगा, उतना ही उसका ज्ञान बढ़ेगा। तीसरी चीज है -- 'अभ्यास'। अभ्यास करते-करते आदमी दक्षता प्राप्त कर लेता है। हर अभ्यास परिश्रम के साथ जुड़ा हुआ है। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति परिश्रम से बचता है, अभ्यास से दूर भागता है, वह जीवन में उन्नति नहीं कर सकता। विद्यार्थियों के लिए तो आगे बढ़ने का मूल मंत्र एक ही है कि अभ्यास करें। जो कम प्रतिभावान हैं या जड़मति भी हैं वह भी अभ्यास की नाव पर बैठकर जीवन सागर को पार कर सकते हैं और अभ्यास करते करते वे भी सुजान(ज्ञानी) बन सकते हैं।
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