लखनवी अंदाज/यशपाल

  


लखनवी अंदाज

           लेखक: यशपाल

प्रश्नोत्तर:

प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?

उत्तर: डिब्बे में अचानक लेखक के प्रवेश करने से सफेदपोश नवाब साहब की आँखों में और उनके एकांत चिंतन में बाधा पड़ने का असंतोष दिखाई दिया। उन्होंने लेखक के साथ बिना बात किए देर तक खिड़की से बाहर देखा। लेखक के साथ संगति के लिए उन्होंने कोई उत्साह भी नहीं दिखाया। नवाब साहब के इन्हीं हाव-भावों से लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं।

प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

उत्तर: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का, उन्हें बेहद स्वादिष्ट बनाया और अंत में सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि लेखक को उनकी अमीरी दिखे अथवा खानदानी रइसी का पता चले। इससे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्रदर्शन की भावना का पता चलता है।

प्रश्न 3: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है? यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर: कहानी में किसी भी विचार, घटना या पात्र का होना अत्यंत आवश्यक है। जब कहानी में कोई घटना ही नहीं होगी तो कैसे पता चलेगा कि क्या हुआ? जब पात्र ही नहीं होंगे तो कुछ घटेगा कैसे? और जब कोई विचार ही नहीं होगा तो कहानी का आरंभ कैसे होगा? अतः हम यशपाल के इस विचार से सहमत हैं कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी नहीं लिखी जा सकती।

प्रश्न 4: नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

उत्तर: नवाब साहब ने तौलिया झाड़ कर बिछा लिया तथा उस पर खीरे सजा दिए। अपने सीट के नीचे से लोटा उठाया तथा दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया। तौलिए से उन्हें पोंछा। जेब से चाकू निकालकर दोनों खीरों के सिर काटे तथा उनका झाग निकाला। फिर सावधानी और कोमलता से छीलकर उनकी फाँकें बनाईं। उसके बाद एक-एक करके बड़े क्रम से उन्हें तौलिए पर सजा कर रखा एवं उन पर जीरा मिला नमक और मिर्च छिड़क दी। इस क्रम में उनकी प्रत्येक भाव-भंगिमा और जबड़ों के स्फुरण से स्पष्ट हो रहा था कि उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से पानी से भर गया था।

प्रश्न 5: क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: हाँ, सनक का सकारात्मक रूप अथवा पक्ष भी हो सकता है।  जैसे-- लिख-पढ़कर सफलता हासिल करने की सनक, विशेष किसी खेल में महारत प्राप्त करने की सनक, अच्छी चित्रकारिता की सनक, सुरीले गीत-संगीत सीखने की सनक,  देश का सम्मान बचाने के लिए जान तक कुर्बान करने की सनक आदि। इन सनकों को उचित दिशा, प्रशिक्षण एवं सृजनशीलता प्राप्त होने पर व्यक्ति अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ ऊँचाई पर भी पहुँच सकता है।


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