मैं क्यों लिखता हूँ/ अज्ञेय




मैं क्यों लिखता हूँ?/ -- अज्ञेय 


प्रश्न 1: लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?

उत्तर: लेखक की मान्यता है कि सच्चा लेखन भीतरी विवशता से पैदा होता है। यह विवशता मन के अंदर से उपजी अनुभूति से जागती है, बाहर की घटनाओं को देखकर नहीं जागती। जब तक कवि-लेखकों  का हृदय किसी अनुभव के कारण पूरी तरह संवेदनशील नहीं होता और उसकी भावनाओं में अभिव्यक्त होने की पीड़ा पैदा नहीं होती, तब तक वह कुछ लिख नहीं पाता।

प्रश्न 2: लेखक ने अपने आप को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया? 

उत्तरः लेखक एक दिन जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नजर एक पत्थर पर पड़ी, जिस पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाया होगा और उसकी छाया पत्थर पर छप गई होगी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई होगी। फिर उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा और लेखक स्वयं को उस घटना का भोक्ता महसूस करने लगा।

प्रश्न 3: 'मैं क्यों लिखता हूँ?' के आधार पर बताइए कि --

लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं? 

उत्तर: लेखक अपनी आंतरिक विवशता के कारण लिखने के लिए प्रेरित होता है। उसकी संवेदना से भरी अंतर्मन की अनुभूतियाँ उसे लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके अलावा लेखक स्वयं को जानने के लिए भी लिखने के लिए प्रेरित होता है अर्थात लेखक को यह जानने की प्रेरणा लिखने के लिए प्रेरित करती है कि वह आखिर लिखता क्यों है।

प्रश्न 4: कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। यह बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?

उत्तर: कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं और वे प्रसिद्धि मिल जाने के बाद बाह्य विवशता के कारण भी लिखते हैं। ये बाह्य दबाव निम्नलिखित हो सकते हैं --

(i) प्रकाशकों का आग्रह,
(ii) संपादकों का आग्रह.
(iii) आर्थिक आवश्यकता आदि।

प्रश्न 5: क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे? 

उत्तर: बाह्य दबाव सभी प्रकार के कलाकारों को प्रेरित करते हैं, केवल लेखन से जुड़े रचनाकार मात्र को नहीं। अधिकतर अभिनेता, गायक, नर्तक, कलाकार आदि अपने दर्शक, आयोजक अथवा श्रोताओं की माँग पर कला प्रदर्शन करते हैं। एक सामान्य चित्रकार या मूर्तिकार जब किसी दूसरे प्रसिद्ध चित्रकार अथवा मूर्तिकार को देखता है जिसे बेशुमार सम्मान और आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो रहा हो तो वह भी उससे प्रभावित होकर अपनी प्रतिभा को सँवारने और दुनिया के सामने दर्शाने का प्रयास करने लगता है। आज बूढ़े हो चुके अमिताभ बच्चन को बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक अभिनय करने का आग्रह न करें और बाह्य दबाव प्राप्त न हो तो शायद अब वह आराम करना चाहते।

प्रश्न 6: हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य-- दोनों दबाव का परिणाम है, यह आप कैसे कह सकते हैं?

उत्तर: हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता को हम उनके अंतः और बाह्य-- दोनों दबावों का परिणाम कह सकते हैं। यद्यपि हिरोशिमा में अणुबम विस्फोट से पीड़ित लोगों को देखकर लेखक को थोड़ी पीड़ा हुई, परन्तु उसका यह अनुभव  लिखने के लिए उसे प्रेरित नहीं कर पा रहा था। पर जले पत्थर पर किसी व्यक्ति की उजली छाया देखकर उसे हिरोशिमा विस्फोट से प्रभावित लोगों के दर्द की गहरी अनुभूति हुई। ये अनुभव उसका बाह्य दबाव था और इसकी अनुभूति उसका आंतरिक दबाव जो उसका प्रेरणा सूत्र बना और उस प्रेरणा ने कविता लिखने के लिए लेखक को प्रेरित किया।

प्रश्न 7: हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? 

उत्तर: आजकल विज्ञान का दुरुपयोग कई क्षेत्रों पर हो रहा है। आज संसार भर आतंकवादी विज्ञान के आविष्कार, आधुनिकतम हथियार आदि का दुरुपयोग कर रहे हैं। कन्या भ्रूण हत्याएँ हो रही हैं, जिससे जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है। कीटनाशक और जहरीले रसायन के माध्यम से फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो रहा है। विज्ञान के उपकरणों के कारण ही वातावरण में गर्मी बढ़ रही है। बर्फ पिघलने का खतरा बढ़ रहा है। भयंकर दुर्घटनाएँ रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं। दिन-ब-दिन बढ़ते साइबर क्राइम भी विज्ञान से जन्मी समस्या है।


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