स्मृति/-- श्रीराम शर्मा
स्मृति
-- श्रीराम शर्मा
प्रश्न 1: भाई के बुलाने पर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर: भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर जा रहा था, परंतु वह मन ही मन बहुत डर भी रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन-सा कसूर हो गया है। उसे आशंका थी कि कहीं बेरी खाने के अपराध में कहीं उसके बड़े भाई से मार न पड़ जाए।
प्रश्न 2: मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
उत्तरः कुएँ में एक साँप गिर पड़ा था। जब बच्चे कुएँ में ढेला फेंकते थे तो साँप फुँफकार मारता था। उसकी फुँफकार सुनने में बच्चों को बड़ा मजा आता था। इसलिए मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला फेंकती थी।
प्रश्न 3: "साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं।" -- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तरः यह कथन लेखक की घबराहट और डर की मानसिकता को प्रकट करता है। ढेला फेंकते समय उसकी टोपी में रखी गई चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी थीं। इसलिए उसका ध्यान साँप को ढेला लगने या उसकी फुँफकार सुनने से भी ज्यादा चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने पर केंद्रित हो गया। उसे जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उस पर बाधा पड़ गई थी। उसे निराशा, भाई साहब से पीटने का भय और भारी घबराहट हो रही थी।
प्रश्न 4: किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर: यदि लेखक सच बोलता कि चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं तो भाई साहब के हाथों खूब पिटाई होने का डर था। वह झूठ बोलता और कहता कि चिट्ठियाँ पहुँचा दीं तो उनके गंतव्य तक न पहुँचने की जिम्मेदारी का बोझ भी सता रहा था। इन दोनों में से उन्हें जिम्मेदारी का बोझ ज्यादा सता रहा था। ऐसे में लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने के निर्णय को ही बेहतर समझा।
प्रश्न 5: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाईं?
उत्तर: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं --
-- उसने साँप का फन पीछे होते ही अपना डंडा चिट्ठियों की ओर कर दिया।
-- साँप का ध्यान भटकाने और डंडा उठाने के लिए लेखक ने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी लेकर साँप के दायीं ओर फेंकी ताकि साँप का ध्यान उस ओर चला जाए। इसमें लेखक सफल हो गया और दूसरे हाथ से उन्होंने तुरंत अपना डंडा भी खींच लिया।
प्रश्न 6: कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः लेखक की चिट्ठियाँ एक ऐसे सूखे कुएँ में गिर गई थीं, जहाँ एक साँप था। कुएँ में उतरकर चिट्ठियाँ लाना सीधे जान को जोखिम में डालने का काम था। लेकिन लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया। लेखक ने अपने पास जितनी धोतियाँ थीं, उन सभी को जोड़कर एक सिरे पर डंडा बाँध दिया। डंडा वाला सिरा कुएँ में डालकर दूसरे सिरे को कुएँ के ऊपर अच्छी तरह से गाँठ बाँध दिया और छोटे भाई को उसका छोर पकड़ा दिया। लेखक धोती के जरिए कुएँ में उतर गया। जब लेखक कुएँ के भूतल से चार पाँच गज ऊपर था, उसने साँप को फन फैलाये देखा। साँप को धोती पर लटक कर मारना आसान नहीं था। वहाँ डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं थी। उसने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने की कोशिश की। लेकिन साँप ही डंडे से चिपक गया। लेखक ने डंडा फेंक दिया। डंडा लेखक की ओर खींच आने से साँप का आसन बदल गया। लेखक ने जल्द ही पोस्टकार्ड और लिफाफे चुन लिए और धोती के छोर पर बाँध लिया, जिन्हें छोटे भाई ने ऊपर खींच लिया। अंत में लेखक भी अपने हाथों के बल 36 फुट चढ़कर कुएँ से बाहर निकल आया।
प्रश्न 7: इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बालसुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
उत्तरः इस पाठ को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बालसुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है:
-- स्कूल जाते आते वक्त रास्ते में शरारत करते हैं।
-- बच्चे कठिन एवं जोखिमपूर्ण कार्य करना पसंद करते हैं।
-- निर्दोष जानवरों अथवा प्राणियों को परेशान करते हैं।
-- माली से बिना पूछे फल फूल तोड़ना पसंद करते हैं।
-- गलत काम करने के बाद सजा मिलने की संभावना से डरते भी हैं।
प्रश्न 8: "मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं।" -- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः इस कथन का आशय यह है कि कभी-कभी मनुष्य अपने अनुमान के आधार पर अपने सामर्थ्य से भी बढ़कर कुछ कर गुजरने की साहसिक योजना बना लेता है। परंतु जब उसे कार्य रूप में बदलने की बात आती है तो उसे वैसा करना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव दिखाई पड़ने लगता है। लेखक ने भी योजना बनाई थी कि वह कुएँ में उतरकर डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ उठा लाएगा। किंतु कुएँ में उतरते समय जब उसने साँप को फन उठाकर हमले के लिए तैयार देखा तो लेखक को साँप को मारने का विचार छोड़ना पड़ा।
प्रश्न 9: "फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है।" -- पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप के द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अंततः चिट्ठियाँ निकालने में सफल भी रहा। अतः मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला तो ईश्वर होता है।

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