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अभ्यास प्रश्नोत्तरी/ कक्षा : 10(दस)

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  अभ्यास प्रश्नोत्तरी प्रश्न 01: वाक्य किसे कहते हैं? उत्तर : ऐसा व्यवस्थित और सार्थक शब्द समूह जो वक्ता का पूरा आशय स्पष्ट रूप से प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है। जैसे -- आज से हमारी पहली आवधिक परीक्षाएँ शुरू हो रही हैं।  प्रश्न 02: रचना की दृष्टि से वाक्य के कितने भेद हैं? उनके नाम भी लिखिए। उत्तर : रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं। वे हैं -- (i) सरल अथवा साधारण वाक्य  (ii) संयुक्त वाक्य और (iii) मिश्र, मिश्रित अथवा जटिल वाक्य प्रश्न 03: जिस वाक्य में सिर्फ एक ही मुख्य क्रिया हो, वह कौन-सा वाक्य होता है? उत्तर : सरल वाक्य  प्रश्न 04: संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए:  उत्तरः जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य योजक शब्द अथवा समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। जैसे -- -- अध्यापक पढ़ा रहे हैं और विद्यार्थी लिख रहे हैं।  -- मैंने उसे बहुत समझाया परंतु वह नहीं माना। प्रश्न 05: मिश्र अथवा जटिल वाक्य किसे कहते हैं?  उत्तरः जिन वाक्यों में एक से अधिक उपवाक्य होते हैं और उनमें से एक उपवाक्य प्रधान होता है और दूसरा उपवाक्

इतनी शक्ति हमें देना दाता

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना  हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना  इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना दूर अज्ञान के हो अँधेरे, तू हमें ज्ञान की रोशनी दे हर बुराई से बचके रहें हम, जितनी भी दे भली ज़िन्दगी दे  बैर हो न किसीका किसीसे, भावना मन में बदले की हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना हम न सोचें हमें क्या मिला है, हम ये सोचें किया क्या है अर्पण फूल खुशियों के बाँटें सभी को, सबका जीवन ही बन जाए मधुवन  अपनी करुणा का जल तू बहाकर, कर दे पावन हरेक मन का कोना हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना  हम अँधेरे में हैं रोशनी दे, खो न दें खुद को ही दुश्मनी से  हम सज़ा पाएँ अपने किए की, मौत भी हो तो सह लें ख़ुशी से कल जो गुज़रा है फिर से न गुज़रे, आने वाला वो कल ऐसा हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना  हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है, सह

अभ्यास प्रश्नोत्तरी/कक्षा: 9

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अभ्यास प्रश्नोत्तरी प्रश्न 1: अर्थ की दृष्टि से वाक्य के कितने भेद होते हैं? उनके नाम लिखिए। उत्तर : अर्थ की दृष्टि से वाक्य के ८(आठ) भेद होते हैं। वे हैं:  (i) कथनात्मक वाक्य   (ii) निषेधार्थक वाक्य (iii) आज्ञार्थक वाक्य (iv) प्रश्नवाचक वाक्य (v) इच्छावाचक वाक्य (vi) संदेहवाचक वाक्य (vii) विस्मयादिबोधक वाक्य और (viii) संकेतवाचक वाक्य  प्रश्न 2: "शायद उन्हें मेरी बात बुरी लगी होगी।" -- वाक्य में अर्थ की दृष्टि से कौन सा भेद है?   उत्तर : संदेहवाचक वाक्य  प्रश्न 3: वाक्य-भेद पहचानिए: (क) मैं नवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।  उत्तर : कथनात्मक वाक्य  (ख) महेश आज विद्यालय नहीं आया। उत्तर : निषेधार्थक वाक्य  (ग) तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो। उत्तर : इच्छावाचक वाक्य  प्रश्न 4: "तुम कहाँ पढ़ते हो?" -- अर्थ के आधार पर कौन-सा वाक्य है? उत्तर : प्रश्नवाचक वाक्य  प्रश्न 5: शब्द किसे कहते हैं? उत्तर : वर्ण अथवा अक्षरों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। प्रश्न 6: शब्द निर्माण के तीन प्रकारों का उल्लेख कीजिए।  उत्तरः (i) उपसर्ग के द्वारा शब्द-निर्माण,  (ii) प्रत्यय के द्वारा शब्द-निर्माण

निबंध लेखन/कक्षा:9 और 10

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    श्रम का महत्त्व परिश्रम ही मनुष्य जीवन का सच्चा सौंदर्य है । संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है । संसार-चक्र सुख की प्राप्ति के लिए चल रहा है । संसार का यह चक्र यदि एक क्षण के लिए रुक जाए तो प्रलय हो सकती है । इसी परिवर्तन और परिश्रम का नाम जीवन है । हम देखते हैं कि निर्गुणी व्यक्ति गुणवान् हो जाते है; मूर्ख बड़े-बड़े शास्त्रों में पारंगत हो जाते हैं; निर्धन व्यक्ति धनवान बनकर सुख व चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं । यह किसके बल पर होता है ? सब श्रम के बल पर ही न । ‘श्रम’ का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना । जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है । जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्त्व है । परिश्रमी व्यक्ति कै लिए कोई कार्य कठिन नहीं । इसी परिश्रम के बल पर मनुष्य ने प्रकृति को चुनौती दी है- समुद्र लाँघ लिया, पहाड़ की दुर्गम चोटियों पर वह चढ़ गया, आकाश का कोई कोना आज उसकी पहुँच से बाहर नहीं । वस्तुत

निबंध लेखन/कक्षा 9 और 10

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  श्रम का महत्त्व परिश्रम ही मनुष्य जीवन का सच्चा सौंदर्य है । संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है । संसार-चक्र सुख की प्राप्ति के लिए चल रहा है । संसार का यह चक्र यदि एक क्षण के लिए रुक जाए तो प्रलय हो सकती है । इसी परिवर्तन और परिश्रम का नाम जीवन है । हम देखते हैं कि निर्गुणी व्यक्ति गुणवान् हो जाते है; मूर्ख बड़े-बड़े शास्त्रों में पारंगत हो जाते हैं; निर्धन व्यक्ति धनवान बनकर सुख व चैन की जिंदगी बिताने लगते हैं । यह किसके बल पर होता है ? सब श्रम के बल पर ही न । ‘श्रम’ का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना । जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है । जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्त्व है । परिश्रमी व्यक्ति कै लिए कोई कार्य कठिन नहीं । इसी परिश्रम के बल पर मनुष्य ने प्रकृति को चुनौती दी है- समुद्र लाँघ लिया, पहाड़ की दुर्गम चोटियों पर वह चढ़ गया, आकाश का कोई कोना आज उसकी पहुँच से बाहर नहीं । वस्तुत:

समास/कक्षा: आठ

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समास   प्रश्न 01: समास किसे कहते हैं? उत्तर : दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहा जाता है। शब्दों के इन संक्षिप्त रूपों को व्याकरण में सामासिक शब्द अथवा समस्तपद कहा जाता है। प्रश्न 02: समास शब्द का क्या अर्थ है?  उत्तर : समास शब्द का अर्थ है -- 'संक्षेप' या 'संयोग'। प्रश्न 03: सामासिक शब्द या समस्तपद में कितने पद होते हैं? उनके क्या नाम हैं? उत्तर : सामासिक शब्द या समस्तपद में दो पद होते हैं -- पूर्वपद और उत्तरपद।  प्रश्न 04: समास में पूर्वपद और उत्तरपद किसे कहते हैं?  उत्तर : समस्तपद का पहला शब्द पूर्वपद कहलाता है। जैसे -- 'सेनापति' सामासिक शब्द में 'सेना' पूर्वपद है। उसी तरह समस्तपद का दूसरा पद उत्तरपद कहलाता है। जैसे -- 'सेनापति' शब्द में दूसरा शब्द 'पति' उत्तरपद है। प्रश्न 05: समास विग्रह किसे कहते हैं? उदाहरणसहित लिखिए : उत्तरः सामासिक पदों को तोड़ने अर्थात अलग-अलग करने को समास विग्रह कहा जाता है। जैसे -- 'पवनपुत्र' सामासिक शब्द का समास विग्रह होगा 'पवन का पुत्र'। प्रश्न 06: समास

माता का अँचल

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     माता का अँचल                     --- शिवपूजन सहाय प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? उत्तर : अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने के बावजूद विपदा के समय भोलानाथ पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। इसकी वजह यह हो सकती है कि माँ के आँचल तले एक बच्चे को जिस प्यार और सुरक्षा की अनुभूति मिलती है, वह पिता के सान्निध्य में नहीं मिलती। माँ से बच्चों का संबंध बच्चे के जन्म के पूर्व से ही जुड़ा होता है। इसलिए भी संतान की आत्मीयता माँ के साथ अत्यंत गहरी होती है। प्रश्न 2: आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? उत्तर : भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है, क्योंकि उसे उनके साथ दिनभर अलग-अलग खेल खेलने और शरारत भरी मस्ती करने का आनंद मिलता है। जब भी वह अपने मित्रों को देखता है तो वह अपने पुराने सारे दुख-दर्द भूल जाता है। प्रश्न 4: भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खे

ललद्यद के वाख

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ललद्यद के वाख   प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: 'रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है? उत्तर : ललद्यद की 'वाख' कविता में ‘रस्सी’ शब्द का प्रयोग मनुष्य की ‘साँस’ या ‘प्राण’ के लिए हुआ है, जिसके सहारे मनुष्य अपनी शरीररूपी नाव को खींच रहा है। यह साँस अथवा प्राणरूपी रस्सी बहुत कमजोर है। यह कब टूट जाए अर्थात कब इन्सान मृत्यु को प्राप्त हो जाए कोई भरोसा नहीं। प्रश्न 2: कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?   उत्तर : कवयित्री इस सांसारिकता के मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है। ऐसे में वह प्रभु की भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रही है। उसे लगता है कि कच्चे, नाशवान और कमजोर शरीर के माध्यम से की जा रही उसकी सारी साधनाएँ व्यर्थ होती जा रही हैं। इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले सारे प्रयास विफल होते जा रहे हैं। प्रश्न 3: कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है?  उत्तर : 'घर जाने की चाह' से कवयित्री का तात्पर्य है -- परमात्मा के पास जाना, मोक्ष प्राप्त करना अथवा इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने ईश्वर

इस जल प्रलय में

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  इस जल प्रलय में            -- फणीश्वरनाथ रेणु प्रश्न 1: बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?   उत्तर : बाढ़ की खबर सुनकर लोग अति आवश्यक सामानों को जुटाने में और अपनी सुरक्षा का प्रबंध करने में व्यस्त हो गए। आवश्यक ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी, दवाइयाँ आदि इकट्ठा करने लगे ताकि बाढ़ से घिर जाने पर भी कुछ दिनों तक आसानी से गुजारा चल सके। प्रश्न 2: बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाहर का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? उत्तर : लेखक उसी क्षेत्र के रहने वाले थे, जहाँ बाढ़ग्रस्त लोग शरण लिया करते थे। बीते दिनों में लेखक बाढ़ पीड़ितों की मदद कई तरह से कर चुके थे। उन्होंने बाढ़ देखा तो था, परंतु बाढ़ से घिरने, बहने या खुद भोगने का अनुभव नहीं किया था। वे उसका प्रत्यक्ष अनुभव लेना चाहते थे। इसलिए बाढ़ के संबंध में अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए वे बहुत बेचैन और उत्सुक थे। प्रश्न 3: सबकी ज़बान पर एक ही जिज्ञासा-- 'पानी कहाँ तक आ गया है?' इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?  उत्तर : सबके मन में एक ही जिज्ञासा थी-- 'पानी कहाँ तक आ गया है?&