ललद्यद के वाख
ललद्यद के वाख प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: 'रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है? उत्तर : ललद्यद की 'वाख' कविता में ‘रस्सी’ शब्द का प्रयोग मनुष्य की ‘साँस’ या ‘प्राण’ के लिए हुआ है, जिसके सहारे मनुष्य अपनी शरीररूपी नाव को खींच रहा है। यह साँस अथवा प्राणरूपी रस्सी बहुत कमजोर है। यह कब टूट जाए अर्थात कब इन्सान मृत्यु को प्राप्त हो जाए कोई भरोसा नहीं। प्रश्न 2: कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं? उत्तर : कवयित्री इस सांसारिकता के मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है। ऐसे में वह प्रभु की भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रही है। उसे लगता है कि कच्चे, नाशवान और कमजोर शरीर के माध्यम से की जा रही उसकी सारी साधनाएँ व्यर्थ होती जा रही हैं। इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले सारे प्रयास विफल होते जा रहे हैं। प्रश्न 3: कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है? उत्तर : 'घर जाने की चाह' से कवयित्री का तात्पर्य है -- परमात्मा के पास जाना, मोक्ष प्राप्त करना अथवा इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने ईश्