अनुच्छेद लेखन/कक्षा-नौ
अनुच्छेद लेखन आलस्यः हमारा सबसे बड़ा शत्रु आलस्य दुख, दरिद्रता, रोग, परतंत्रता, अवनति आदि का जनक है। आलस्य के रहते हुए मनुष्य कभी विकास नहीं कर सकता। उसके ज्ञान में वृद्धि का प्रश्न ही नहीं उठ सकता। आलस्य को राक्षसी प्रवृत्ति की पहचान कहा जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रातः काल की शुद्ध हवा अत्यंत आवश्यक है। आलसी व्यक्ति इस हवा का आनंद तक नहीं उठा पाते। प्रातः कालीन भ्रमण एवं व्यायाम के अभाव में उनका शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। आलसी विद्यार्थी पूरा वर्ष सोकर गुजारता है और परिणाम आने पर सब से आँखें चुराने लगता है। आलस्य मनुष्य की इच्छा शक्ति को कमजोर बना कर उसे असफलता के गर्त में धकेल देता है। आलसी को छोटे से छोटा काम भी पहाड़ के समान कठिन लगने लगता है। वह इससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के बहाने तलाशने लगता है। आलस्य का त्याग करने से मनुष्य को अपने लक्ष्य को निश्चित समय में प्राप्त करने में सफलता मिलती है। जीवन में वही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है, जो आलस्य को पूरी तरह त्याग कर कर्म के सिद्धांत को अपना ले। इस प्रकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य ही है। यह मनुष्य को पतन के मा