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दो बैलों की कथा MCQ

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दो बैलों की कथा प्रश्न १: 'दो बैलों की कथा' के लेखक कौन हैं? उत्तर : प्रेमचंद  प्रश्न २: कहानी के मित्र बैलों के नाम क्या हैं? उत्तर : हीरा और मोती प्रश्न ३: हीरा और मोती में से कौन कुछ ज्यादा गुस्सैल स्वभाव का था? उत्तर : मोती प्रश्न ४: हीरा-मोती के पहले स्वामी/मालिक का नाम क्या था? उत्तर : झुरी-काछी प्रश्न ५: झुरी-काछी ने अपने बैलों को कहाँ भेज दिया था? उत्तर : अपने ससुराल/ गया के घर/ साले के यहाँ प्रश्न ६: हीरा-मोती किस जाति के थे? उत्तर : पछाईं जाति के प्रश्न ७: किसी मनुष्य को भी हम कब 'गधा' कह देते हैं?  उत्तर : जब कोई निरा मूर्ख हो प्रश्न ८: पाठ में गधों की तुलना किससे की गई है? उत्तर : ऋषि-मुनियों से प्रश्न ९: गधों की तुलना ऋषि-मुनियों से क्यों की गई है? उत्तर : उनके सहनशील स्वभाव के कारण  प्रश्न १०: कांजीहौस के सामने डुगडुगी क्यों बजने लगी? उत्तर : हीरा और मोती की नीलामी के लिए  प्रश्न ११: नीलामी के अंत में दो बैलों को किसने खरीदा? उत्तर : एक कसाई ने  प्रश्न १२: नीलामी में हीरा-मोती को खरीदने वाला व्यक्ति दिखने में कैसा था? उत्तर : वह एक दढ़ियल व्यक्ति था। उसकी

समास (पुनरावृत्ति)

   समास (पुनरावृत्ति) प्रश्न 1: निर्देशानुसार सही विकल्प चुनिए: (i) समस्त पद किसे कहते हैं? (क) दो वर्णों के मेल को  (ख) दो पदों के मेल को  (ग) दो वाक्यों के मेल को (घ) दो व्यंजनों के मेल को उत्तर:  (ख) दो पदों के मेल को (ii) अर्थ के आधार पर समास के कितने भेद हैं? (क) तीन  (ख) चार  (ग) पाँच  (घ) छह  उत्तर:  (घ) छह  (iii) 'लंबा है उदर जिसका अर्थात गणेश जी' का समस्तपद कौन-सा है? (क) लंबा उदर  (ख) लंबउदर  (ग) लंबोदर  (घ) मोटा उदर उत्तर: (ग) लंबोदर (iv) 'त्रिफला' शब्द में समास का कौन-सा भेद है? (क) कर्मधारय  (ख) द्विगु  (ग) द्वंद्व  (घ) तत्पुरुष उत्तर:  (ख) द्विगु  (v) 'नवरत्न' समस्तपद का सही विग्रह कौन-सा है? (क) नया-नया रत्न  (ख) नव (नौ) रत्नों का समूह (ग) नव है जो रत्न (घ) नए रत्नों का समूह उत्तर:  (ख) नव (नौ) रत्नों का समूह प्रश्न 2: निम्नलिखित समस्तपदों का सही विग्रह वाला विकल्प चुनिए: (i) तुलसीकृत  (क) तुलसी के लिए कृत (ख) तुलसी को कृत (ग) तुलसी पर कृत (घ) तुलसी द्वारा कृत   उत्तर: (घ) तुलसी द्वारा कृत   (ii) कमलनयन  (क) कमल के समान नयन (ख) नयन के समान कमल  (ग

पुनरावृत्ति(उपसर्ग/प्रत्यय)

पुनरावृत्ति(उपसर्ग/प्रत्यय) प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों में से वह शब्द चुनिए जो भिन्न उपसर्ग से बना है और अपने समूह के शब्दों से अलग है: (i) (क) निर्मल (ख) निर्भय (ग) निवास (घ) निर्दोष उत्तर: (ग) निवास (ii) (क) अनुराग  (ख) अनुरूप  (ग) अनुभव  (घ) अनुचित उत्तर:  (घ) अनुचित (iii)   (क) पुरस्कार (ख) पुनरागमन (ग)  पुनर्जन्म  (घ) पुनर्निर्माण  उत्तर: (क) पुरस्कार (iv) (क) बेअदब (ख) बेशकीमती (ग) बेबुनियाद  (घ) बेदाग  उत्तर: (ख) बेशकीमती (v)   (क) सपूत (ख) सहमति  (ग) सहचर (घ) सहपाठी उत्तर:  (क) सपूत प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्दों में से वह शब्द चुनिए जिसमें दिए गए उपसर्ग का प्रयोग नहीं हुआ है: (i) प्र (क) प्रस्थान  (ख) प्रताप (ग) प्रतिभा (घ) प्रयत्न उत्तर:  (ग) प्रतिभा (ii) प्रति (क) प्रत्यक्ष  (ख) प्राध्यापक   (ग) प्रत्येक (घ) प्रतिक्षण  उत्तर:  (ख) प्राध्यापक (iii) ला   (क) लावारिस  (ख) लालच (ग) लाजवाब (घ) लापता उत्तर: (ख) लालच (iv) पर   (क) परलोक (ख) पराधीन  (ग) परदेस  (घ) पराग उत्तर: (घ) पराग (v) वि (क) विषकन्या (ख) विभाग (ग) विक्रय (घ) विशिष्ट उत्तर:  (क) विषकन्या प्रश्न 3: निम्नलिखित

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सालिम अली की जीवनी

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  भारत के ‘बर्डमैन’  सालिम अली का जीवन परिचय   सलीम अली को भारत में पक्षियों के मसीहा के रूप में पहचाना जाता है। भारत के महान प्रकृतिवादी और पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली को ‘भारत का 'बर्डमैन‘ भी कहा जाता है। पक्षी विज्ञानी सालिम अली का पूरा नाम सालिम मोयजुद्दीन अब्दुल अली था। सालिम अली उम्र भर पक्षियों की सेवा में लगे रहे। बचपन से ही उन्हें पक्षियों से बड़ा लगाव था। वे हमेशा से पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक रहा करते थे। पक्षियों के प्रति असीम लगाव के कारण ही इन्हें पक्षियों का मसीहा भी कहा गया। छोटी उम्र से ही इन्हें पक्षियों के बारे में जानने की बेहद उत्सुकता रहती थी। बड़े होने के बाद पक्षियों की सेवा और उनका बचाव करना ही उन्होंने अपना परम कर्त्तव्य बना लिया। आगे चलकर वे भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी, प्रकृतिवादी और वन्‍यजीव संरक्षणवादी के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने पक्षी सर्वेक्षण हेतु व्यवस्थित रूप से कई कदम उठाये। पक्षियों के संरक्षण हेतु उन्होंने राजस्थान के भरतपुर पक्षी उद्यान को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। पक्षी विज्ञान में अहम योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार

माखनलाल चतुर्वेदी की कुछ कविताएँ

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  माखनलाल चतुर्वेदी की  कुछ कविताएँ (1) हौले-हौले, धीरे-धी रे तुम ठहरे, पर समय न ठहरा, विधि की अंगुलियों की रचना-- तोड़ चला यह गूँगा, बहरा। घनश्याम के रूप पधारे हौले-हौले, धीरे-धीरे, मन में भर आई कालिन्दी झरती बहती गहरे-गहरे। तुम बोले, तुम खीझे रीझे, तुम दीखे अनदीखे भाये, आँखें झपक-झपक अनुरागीं, लगा कि जैसे तुम कब आये? स्वर की धारा से लिपटी जब गगन-गामिनी शशि की धारा, उलझ गया मैं उन बोलों में, मैंने तुझको नहीं सँवारा। चन्दन, चरण, आरती, पूजा, कुछ भी हाय न कर पाया मैं, तुम किरणों पर बैठ चल दिये, किरणों में ही भरमाया मैं! पा कर खो देने का मन पर कितना लिखा विस्मरण गहरा! विधि की अंगुलियों की रचना, तोड़ चला यह गूंगा बहरा। तुम ठहरे, पर समय न ठहरा, तुम ठहरे, पर समय न ठहरा।। ===================================== (2) ऊषा यह बूँद-बूँद क्या? यह आँखों का पानी, यह बूँद-बूँद क्या? ओसों की मेहमानी, यह बूँद-बूँद क्या? नभ पर अमृत उँड़ेला, इस बूँद-बूँद में कौन प्राण पर खेला! लाओ युग पर प्रलयंकरि वर्षा ढा दें, सद्य-स्नाता भू-रानी को लहरा दें। ऊषा बोली, दृग-द्वार खोल दे अपने, मैं ला

कबीरदास के कुछ लोकप्रिय दोहे

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कबीरदास के कुछ लोकप्रिय दोहे [1]  दुःख में सुमिरन सब  करे ,सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय।। [2] बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।। [3]  साईं इतना दीजिये जामें कुटुम्ब समाये । मैं भी भूखा न रहूँ ,साधु न भूखा जाये ।। [4] निंदक नियरे राखिये, आँगनि कुटी छवाय । बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। [5] अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप । अति का भला न बरसना , अति की भली न घूप ।। [6] तिनका कबहु ना निंदिये ,जो पाँव तलि होय । कबहु उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ।। [7] मालि आवत देखि के कलियाँ करे पुकार । फूले फूले चुन लिये,काल्ह हमारि बार ।। [8] काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होयेगी , बहुरि करेगा कब ।। [9] जिन खोजा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठ । मैं बपुरो बूड़न डरा, रहा किनारे बैठ ।। [10] कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढत बन माही। ऐसो घट– घट राम हैं, दुनिया देखे नाही ।। [11] पानी कर बुदबुदा, अस मानुस की जात। एक दिन छिप जायेगा, ज्यों तारा प्रभात ।। [12] गुरु गोविंद दोउ खड़े काको लागूँ पाय । बलिहारी गुरु आपने,

कक्षा ९(नौ) के लिए पोर्टफोलियो कार्य

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  कक्षा नौ के लिए  पोर्टफोलियो कार्य (1) स्व मूल्यांकन आपने अपने पाठ्यक्रम में कबीर की कुछ साखियाँ (दोहे) और सबद पढ़े हैं। कबीर ने इस तरह सैकड़ों की संख्या में दोहे और सबदों की रचना की है। उनमें से लोकप्रिय 10(दस) दोहों का संकलन कीजिए : (2) समूहगत मूल्यांकन कैदी और कोकिला के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा रचित अन्य कविताओं का संग्रह कीजिए: (3) सहपाठी मूल्यांकन निम्नलिखित 5 प्रश्नों के उत्तर शुद्ध वर्तनी और सुंदर हस्तलेखन के साथ लिखिए और अपने सहपाठी से मूल्यांकन करवाइए: (क) सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए: (ख) 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए:  (ग) बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है? (घ) लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है? (ङ) नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए: --- जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की की

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'माँ' शीर्षक पर कुछ कविताएँ

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           (1)  माँ की परिभाषा                                                                                      हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है बस यही माँ की परिभाषा है। हम समुंदर का हैं तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर, हम एक शूल हैं तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर, हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है, हम पत्थर के हैं कण वह कंचन की कनिका है, हम बकवास हैं वह भाषण है, हम सरकार हैं वह शासन है, हम लव कुश हैं वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है, हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है, वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है, हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है, बस यही माँ की परिभाषा है। बस यही माँ की परिभाषा है।                              --- कवि: शैलेश लोढा ==================================== (2 ) मेरी प्यारी माँ जब आँख खुली तो अम्‍मा की गोदी का एक सहारा था। उसका नन्‍हा-सा आँचल मुझको भूमण्‍डल से प्‍यारा था।। उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था। उसके स्‍तन की एक बूँद से मुझको जीवन मिलता था।। हाथों से बाल