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मैं क्यों लिखता हूँ/ अज्ञेय

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मैं क्यों लिखता हूँ?/  -- अज्ञेय  प्रश्न 1: लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? उत्तर : लेखक की मान्यता है कि सच्चा लेखन भीतरी विवशता से पैदा होता है। यह विवशता मन के अंदर से उपजी अनुभूति से जागती है, बाहर की घटनाओं को देखकर नहीं जागती। जब तक कवि-लेखकों  का हृदय किसी अनुभव के कारण पूरी तरह संवेदनशील नहीं होता और उसकी भावनाओं में अभिव्यक्त होने की पीड़ा पैदा नहीं होती, तब तक वह कुछ लिख नहीं पाता। प्रश्न 2: लेखक ने अपने आप को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?  उत्तरः लेखक एक दिन जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नजर एक पत्थर पर पड़ी, जिस पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाया होगा और उसकी छाया पत्थर पर छप गई होगी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई होगी। फिर उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा और लेखक स्वयं को उस घटना का भोक्ता महसूस करने लगा। प्रश्न

संस्कृति/ भदंत आनंद कौशल्यायन

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  संस्कृति/ भदंत आनंद कौसल्यायन प्रश्न 1: लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है? उत्तर : लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है, क्योंकि हम इन दोनों बातों को एक ही समझते हैं या एक दूसरे में मिला लेते हैं। अक्सर इन दोनों शब्दों के साथ हम अनेक विशेषण भी लगा देते हैं। तब तो इनका अर्थ और भी अस्पष्ट हो जाता है। यह जानना जरूरी है कि क्या यह एक ही चीज है अथवा दो अलग चीजें हैं। और यदि दो हैं तो दोनों में अंतर क्या है? तभी सही बात समझ में आएगी। प्रश्न 2: आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? उत्तरः आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करती है और इसने मानव सभ्यता को नई दिशा दी है।   आग की खोज के पीछे पेट की ज्वाला अथवा भूख मिटाने की प्रवणता प्रेरणा रही होगी। प्रकाश तथा गर्मी पाने की प्रेरणा भी मिली होगी। जब मांस को अथवा अपने आहार को भूनकर खाने से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों मिला होगा, तब मनुष्य ने आग

नौबतखाने में इबादत/ यतींद्र मिश्र

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  नौबतखाने में इबादत                                -- यतींद्र मिश्र  प्रश्न 1: शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है? उत्तर : शहनाई और डुमराँव दोनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड एक प्रकार की घास से बनाई जाती है, जो मुख्यतः डुमराँव में सोन नदी के किनारे पर पाई जाती है। इसके अतिरिक्त बिस्मिल्ला खाँ का जन्म स्थान भी डुमराँव है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ भी डुमराँव निवासी थे। इन कारणों से डुमराँव को शहनाई की दुनिया में याद किया जाता है। प्रश्न 2: बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है? उत्तरः शहनाई को मंगल का परिवेश प्रतिष्ठित करने वाला वाद्ययंत्र माना जाता है। इसका प्रयोग विविध जगहों पर मांगलिक विधि-विधान के अवसर पर होता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। बिस्मिल्ला खाँ अस्सी वर्ष से भी अधिक समय तक शहनाई बजाते रहे। उनकी गणना भारत के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक के रूप में होती है। उन्होंने शहनाई को भारत ही नहीं, विश्वभर लोकप्रिय बनाया। इसी कारण उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क

संगतकार/ मंगलेश डबराल

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   संगतकार               -- मंगलेश डबराल  प्रश्न 1: 'संगतकार' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न होकर भी समाज में अग्र पंक्ति में न आकर प्रायः पीछे ही क्यों रहते हैं?  उत्तरः संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न होकर भी समाज की अग्र पंक्ति में न आकर प्रायः पीछे रहते हैं क्योंकि वह मुख्य कलाकार के सहयोगी होते हैं और उसे धोखा नहीं देना चाहते। वह अपने प्रिय कलाकार की सफलता में अपनी सफलता देखते हैं। वह प्रतिभावान होते हैं, पर वह इस विशेषता से दूसरे को चमकाने में लगे रहते हैं। वह परोपकारी और त्यागी होते हैं। उन्हीं के कारण मुख्य गायक का महत्व बना रहता है। प्रश्न 2: 'संगतकार' कविता में कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत कर रहा है? उत्तरः संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो सफल एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों को सफलता तथा प्रसिद्धि पाने में सहयोग देते हैं। उनके महत्व एवं योगदान को कभी आँका नहीं जाता। उनकी भूमिका हमेशा रचनात्मक होती है। यह लोग अपने आदर्श व्यक्ति की छवि को निखारते हैं। मुसीबत में उनका साथ देते हैं

साँवले सपनों की याद/-- जाबिर हुसैन

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साँवले सपनों की याद                                         --- जाबिर हुसैन प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? उत्तर : बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए। प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं? उत्तर : सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें न

ग्राम श्री/ -- सुमित्रानंदन पंत

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ग्राम श्री          -- सुमित्रानंदन पंत  प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ क्यों कहा है? उत्तरः कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि उसकी शोभा अतुल्य है। खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है। उस पर सूरज की धूप चमक रही है। इस शोभा के कारण पूरी वसुधा प्रसन्न दिखाई देती है। खेतों में  गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों की फसलें उग आई हैं। तरह-तरह के फूलों पर रंगीन तितलियाँ मँडरा रही हैं। आम, बेर, आड़ू, अनार आदि मीठे फल पैदा होने लगे हैं। आलू, गोभी, बैंगन, मूली, पालक, धनिया, लौकी, सेम, टमाटर, मिर्च आदि खूब फल-फूल रहे हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती फैलने लगी है। पक्षी आनंद विहार कर रहे हैं। ये सब दृश्य बड़े ही मनमोहक दिखाई दे रहे हैं।  गाँव के ये दृश्य सचमुच जन-मन को हरते हैं। प्रश्न 2: कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है? उत्तर : कविता में सरदी के मौसम के सौंदर्य का वर्णन है। इसी समय गुलाबी धूप हरियाली से मिलकर हरियाली पर बिछी चाँदी की उजली जाली का अहसास कराती है और पौधों पर पड़ी ओस हवा से हिलकर उनमें हरा रक्त होने का भान होता है। इसके अलावा खेत

फसल/नागार्जुन

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  फसल         -- नागार्जुन प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर :  कवि के अनुसार फसल-- (i) नदियों के पानी का जादू है। (ii) लाखों-करोड़ों किसान और मेहनती लोगों के द्वारा किए गए परिश्रम की गरिमा है। (iii) भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है। (iv) सूरज की किरणों का रूपांतर है।  (v) हवा की थिरकन का सहयोग है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?  उत्तरः कविता में फसल उपजाने के लिए प्रकृति और मनुष्य दोनों के पारस्परिक सहयोग की बात कही गई है, जो निम्नलिखित हैं-- (i) केवल एक-दो नदियों का नहीं, अपितु अनेक नदियों का पानी। (ii) लाखों करोड़ों किसान, मजदूर एवं मेहनती लोगों का परिश्रम। (iii) केवल एक-दो खेतों का नहीं, अपितु हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म। (iv) सूरज की किरणें। (v) हवा की थिरकन। प्रश्न 3: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर : कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूरज की किरणें और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसान

यह दंतुरित मुसकान/नागार्जुन

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    यह दंतुरित मुस्कान/ नागार्जुन  प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुसकान से कवि का मन मोहित हो जाता है। उसे लगता है यह मुसकान एक मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल देगी। उस मुसकान को देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल भी पिघल जाएगा। उसकी मुसकान को देखकर कवि को ऐसा लगता है मानो कमल का सुंदर फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया हो। प्रश्न 2: बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? उत्तर : बच्चे की मुसकान में मासूमियत होती है। उसकी मुसकान में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होती। उसकी मुस्कुराहट में प्रसन्नता, खुशी और मस्ती की भावना भरी होती है। जबकि बड़े व्यक्ति की मुसकान चालाकी भरी हो सकती है। उसकी मुसकान में कोई उद्देश्य, स्वार्थ अथवा किसी के प्रति दुर्भावना भी हो सकती है। बच्चों की मुसकान के साथ बड़ों की मुसकान की तुलना नहीं हो सकती। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तरः कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम स

प्रयास लीग से हटकर देखने का पुरुषोत्तम पोखर अध्यक्ष हिंदी विभाग

  प्रयासः लीक से हटकर देखने का                                          -- पुरुषोत्तम पोख्रेल                                      

अट नहीं रही है

  अट नहीं रही है/ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रश्न 1: अट नहीं रही है' कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए: उत्तर : वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन करते हुए 'अट नहीं रही है' कविता में कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु में प्रकृति की सुंदरता अत्यधिक बढ़ गई है। चारों ओर फागुन की शोभा समाई हुई है। इस समय चारों ओर फूल खिलते हैं। फूलों की खुशबू प्रकृति को सुगंधित कर देती है। डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे फल, फूल और पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। प्रश्न 2: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तरः चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। ऐसा दृश्य देखकर प्रकृतिप्रेमी कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। इस समय पेड़ों की डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे-हरे पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। चारों ओर फूल खिले हैं। इसी कारण कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है। प्रश्न 3: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? उत्तरः फागुन में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय न अधिक सर्दी होती है, न ही अधिक गर्मी। प्रकृति इस समय धरती को हरा-भरा कर देती है। चारों

साना साना हाथ जोड़ि.../मधु काँकरिया

  साना साना हाथ जोड़ि...                     -- मधु काँकरिया  प्रश्न 1: झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? उत्तर : गंतोक शहर की एक झलक ने ही लेखिका को सम्मोहित कर लिया था। रात्रि के समय जगमगाते प्रकाश के कारण शहर अत्यंत सुंदर नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे आकाश के सारे तारे नीचे बिखर कर जमीन पर टिमटिमा रहे हैं। तराई में तारों के गुच्छों की झालर-सी लटकती दिखाई दे रही थी। प्रश्न 2: गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया? उत्तर : गंतोक को सुंदर बनाने में यहाँ के श्रमिक वर्ग के साथ-साथ यहाँ के परिश्रमी निवासी, पुरुष-महिला आदि सभीका काफी योगदान है। उन्हीं के श्रम के बल पर सिक्किम और गंतोक को अद्भुत सुंदरता मिली है। इसलिए लेखिका ने गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है।  प्रश्न 3: कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है? उत्तर : बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा मंदिर, घर अथवा किसी अन्य स्थल पर दो तरह की पताकाएँ फहराई जाती हैं। सफेद झंडे फहराना जहाँ एक ओर शांति और अहिंसा के अवसरों क

सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ

   सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ 1. भारत को आजादी सन् 1947 में मिली, जबकि सिक्किम 1974 तक अलग देश की पहचान रखता था। सन् 1975 में सिक्किम के प्रधानमंत्री ने भारतीय संसद से अनुरोध किया कि वो भारत का अंग बनना चाहता है, और इसके लिए जो जरूरी कदम हैं, वो उठाए जाएँ। आखिरकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वाँ राज्य बना। 2. सिक्किम भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। ये पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ राज्‍य है। सिक्किम में दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। 3. बहुतायत: नेपाली मूल के लोगों की जनसंख्या वाला सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ के स्थानीय लोग अलग देश के मूल निवासी हैं। सिक्किम में रहने वाले अधिकतर लोग नेपाली मूल के हैं। 4. छंग यहाँ का स्थानीय मद्य है, जो खास मौके पर पिया जाता है. ये शराब बाँस से बनती है। 5. सिक्किम में हर साल मार्च से मई माह के बीच अंतर्राष्ट्रीय पुष्प महोत्सव का आयोजन होता है। इस छोटे से राज्य में 600 तरह के पुष्प मिलते हैं, जो 240 तरह के पेड़-पौधे. सिक्किम प्राकृतिक रूप से भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। 6. सिक्किम पक्षियों के लिए स्

मेरे संग की औरतें

  मेरे संग की औरतें/ --- मृदुला गर्ग प्रश्न 1: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं? उत्तर : लेखिका की नानी भारतीय रहन-सहन और भारतीय संस्कृति में ढली हुई महिला थीं। विलायती रीति-रिवाजों में रह रहे उनके पति अर्थात नाना जी का भी उन पर कोई असर अथवा प्रभाव नहीं पड़ा। देश की आजादी से जुड़े देशप्रेमी सिपाहियों के प्रति  नानी के मन में विशेष लगाव था। नानी स्वतंत्र विचार रखने वाली, दृढ़ स्वभाव की, देशभक्ति की भावना से प्रेरित एक महिला थीं। उनके चरित्र और व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के कारण लेखिका अपनी नानी से प्रभावित थीं। प्रश्न 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही? उत्तर: लेखिका की नानी घरेलू काम-काजों में व्यस्त, पारंपरिक रीति-रिवाजों को मानने वाली, पर्दानशीं एवं शर्मीली स्वभाव की नारी थीं। इसके बावजूद नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से बात कर अपनी बेटी के लिए दामाद के रूप में आजादी का सिपाही ढूँढ़ा और उसके हाथ पीले कराए। इस तरह उसने अपने कर्तव्य का ही निर्वाह नहीं किया, बल्कि अपनी देशभक्ति का भ

तिब्बत के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  तिब्बत के बारे में विस्मित कर देने वाले कुछ रोचक तथ्य तिब्बत समुद्र-तट से तीन मील की ऊँचाई पर स्थित एक धार्मिक देश है जहाँ बौद्ध धर्म का खूब विकास हुआ। यूँ तो तिब्बत के बारे में बहुत-सी बातें बताई जा सकती हैं, परंतु यहाँ उसके बारे में कुछ अत्यंत रोचक तथ्य प्रस्तुत  किए जा रहे हैं। 1. दुनिया की कुल 46% आबादी तिब्बत से उत्पन्न होने वाली पाँच मुख्य नदियों पर निर्भर करती है। 2. हिमालयन मोनाल तिब्बत का राष्ट्रीय पक्षी है। 3. ‘जौ’ तिब्बत में पैदा होने वाली सबसे मुख्य फसल है। जौ से बने आटे से ‘संपा’ बनाया जाता है जो तिब्बत के लोगों का सबसे मुख्य खाद्य पदार्थ है। यहाँ मांसाहार ज़्यादातर याक, बकरी और मटन से मिलता है। 4. तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत सारे ऊँचे पर्वत शिखर हैं। तिब्बत समुद्र के लेवल से लगभग साढ़े चार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। 5. तिब्बत में कोई भी KFC नहीं है, क्योंकि दलाई लामा ने उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे मुर्गियों को बड़े पैमाने पर मारने से तिब्बत की पारंपरिक मूल्यों का उल्लंघन होता है। 6. सन् 2005 में फ

कैदी और कोकिला/ माखनलाल चतुर्वेदी

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  कैदी और कोकिला                         -- माखनलाल चतुर्वेदी प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर : कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा जैसे कोयल उसके लिए किसी का कोई संदेशा लेकर आई है। कवि को ऐसा लगता है कि वह संदेशा शायद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए कोयल सुबह होने की प्रतीक्षा भी न कर सकी और अर्धरात्रि को ही संदेशा देने कवि के पास पहुँची। प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर : कवि ने कोकिल के बोलने के कई कारणों की संभावना व्यक्त की है। उनके अनुसार-- (i) कोयल शायद कोई बहुत जरूरी संदेशा लेकर आई हो। (ii) उसने कहीं किसी क्रांति के दावानल की ज्वाला देख ली हो और उसकी खबर देने आई हो। (iii) देशवासियों में मधुर विद्रोह बीज बोने के लिए बोल उठी हो । (iv) अंग्रेज शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो। (v) कैदियों के मन में देशभक्ति की भावना जगाने आई हो। प्रश्न 3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ? उत्तर : कविता में अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों प

उपभोक्तावाद की संस्कृति/ श्यामाचरण दुबे

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  उपभोक्तावाद की संस्कृति                       लेखक: श्यामाचरण दुबे प्रश्न 1: लेखक के अनुसार जीवन में 'सुख' का अभिप्राय क्या है? उत्तर : लेखक के अनुसार विविध भोग विलास की सामग्रियों का प्रयोग, शारीरिक सुख, सुंदरता बढ़ाने के साधनों का प्रयोग, भ्रमण विलास, सुविधासंपन्न भवनों में निवास आदि को ही वास्तविक सुख नहीं माना जाना चाहिए। 'सुख' से लेखक का अभिप्राय नैतिक मूल्यों के अनुसार जीवन-यापन, मानसिक शांति, परोपकारपूर्ण कार्य से प्राप्त सुख से है। प्रश्न 2: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर : आज की उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे दैनिक जीवन को जाने-अनजाने भीतर से ही खोखला कर दिया है। आज हम कोई सामान खरीदते समय आकर्षक विज्ञापन, विलासिता और दिखावटी सौंदर्य की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसकी गुणवत्ता, उपयोगिता और आवश्यकता पर ध्यान नहीं देते। विज्ञापनों के प्रभाव से सारा समाज दिशाहीन हो गया है और अपने लक्ष्य से भटक गया है। प्रश्न 3: गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? उत्तरः गांधीजी ने बहुत पहले

एक कहानी यह भी/ मन्नू भंडारी

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एक कहानी यह भी                --मन्नू भंडारी  प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिताजी, हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल, पिताजी के घनिष्ठ मित्र डॉक्टर अंबालाल से लेकर अनेक लोगों का प्रभाव पड़ा। पिताजी से लेखिका ने घर, समाज--- हर कहीं अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की सीख ली। हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उनमें पुस्तकों के चयन के साथ-साथ विभिन्न साहित्य और साहित्यकारों के प्रति रुचि ही उत्पन्न नहीं की, चारदीवारी में रह रही लेखिका में खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का जोश भी भरा। डॉ अंबालाल जी ने भी उनके भाषण और साहस का समर्थन कर हौसला बढ़ाया। प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तरः इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर इसलिए संबोधित किया है, क्योंकि उनका मानना है कि निरंतर रसोई में अपना समय अथवा पूरा जीवन व्यतीत करने से महिलाओं की प्रतिभा और क्षमता रसोई की भट्टी में ही जलकर राख हो जाती है। उन्हें रसोई

लखनवी अंदाज/यशपाल

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    लखनवी अंदाज             लेखक: यशपाल प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर : डिब्बे में अचानक लेखक के प्रवेश करने से सफेदपोश नवाब साहब की आँखों में और उनके एकांत चिंतन में बाधा पड़ने का असंतोष दिखाई दिया। उन्होंने लेखक के साथ बिना बात किए देर तक खिड़की से बाहर देखा। लेखक के साथ संगति के लिए उन्होंने कोई उत्साह भी नहीं दिखाया। नवाब साहब के इन्हीं हाव-भावों से लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं। प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? उत्तर : नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का, उन्हें बेहद स्वादिष्ट बनाया और अंत में सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि लेखक को उनकी अमीरी दिखे अथवा खानदानी रइसी का पता चले। इससे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्

विशेष प्रस्तुति

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  विशेष प्रस्तुति (एंजल बजाज) आज 30 जुलाई 2024 मंगलवार के दिन कबीर साहित्य समाज हिंदी क्लब द्वारा आयोजित प्रातःकालीन इस विशेष प्रार्थना सभा की विशेष प्रस्तुति लेकर उपस्थित हूँ -- मैं एंजेल बजाज और इस विशेष प्रस्तुति की विषयवस्तु है -- 'अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस'। आज 30 जुलाई अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस का अवसर है। महाभारत, रामायण आदि ग्रन्थों में और कृष्ण-सुदामा, राम-सुग्रीव, कर्ण-दुर्योधन जैसी अगणित मित्रता संबंधी कहानियों को सुनकर पले बढ़े हम एक से बढ़कर एक मित्रता संबंधित प्रसंगों को जानते हैं। आइए इसी कड़ी में आज सुनते हैं ग्रीक-रोमन मायथोलोजी से जुड़ा मित्रता का महत्व दर्शाता भावुक कर देनेवाला एक प्रसंग, जो इस प्रकार है: बहुत पुरानी बात है। सिसिली द्वीप के सरोक्यूज नामक नगर में दो गहरे मित्र थे। एक का नाम डामन और दूसरे का पेथियस था। दोनों की मित्रता की मिसाल दूर-दूर तक दी जाती थी। उन दिनों सिसिली पर एक अत्यंत क्रूर तथा धूर्त राजा का शासन था। उसका नाम डायनोसस था। क्रूर डायनोसस से पूरी प्रजा घृणा करती थी, लेकिन डर के कारण कुछ नहीं बोलती थी। एक दिन डामन से उसका अत्याचार नहीं