श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम अध्याय

श्रीमद्भगवद्गीता का प्रथम अध्याय श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम अध्याय ( अर्जुनविषादयोग ) का प्रथम श्लोक है -- धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।। नीचे इसका अत्यंत विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया गया है। इस श्लोक की शब्द-शब्द व्याख्या, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ, दार्शनिक और आध्यात्मिक अर्थ, साहित्यिक विशेषताओं, और इसके व्यापक महत्व के साथ विस्तार से समझाया गया है। साथ ही इसकी व्याख्या व्यापक, गहन, और संरचित हो, इस पर भी ध्यान दिया गया है, ताकि आपको श्लोक का हर पहलू स्पष्ट हो। श्लोक का मूल पाठ -- धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।। उच्चारण: Dharma-kshetre kuru-kshetre samaveta yuyutsavah, Mamakaah pandavashchaiva kim akurvata sanjaya. शब्द-शब्द विश्लेषणइस श्लोक को समझने के लिए प्रत्येक शब्द का अर्थ और निहितार्थ महत्वपूर्ण है। नीचे प्रत्येक शब्द का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है: धर्मक्षेत्रे (Dharma-kshetre): धर्म: यह संस्कृत शब्द अत्यंत व्यापक अर्थ रखता है। इसका अर्थ है सत्य, नैतिकता, कर...