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सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ

   सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ 1. भारत को आजादी सन् 1947 में मिली, जबकि सिक्किम 1974 तक अलग देश की पहचान रखता था। सन् 1975 में सिक्किम के प्रधानमंत्री ने भारतीय संसद से अनुरोध किया कि वो भारत का अंग बनना चाहता है, और इसके लिए जो जरूरी कदम हैं, वो उठाए जाएँ। आखिरकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वाँ राज्य बना। 2. सिक्किम भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। ये पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ राज्‍य है। सिक्किम में दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। 3. बहुतायत: नेपाली मूल के लोगों की जनसंख्या वाला सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ के स्थानीय लोग अलग देश के मूल निवासी हैं। सिक्किम में रहने वाले अधिकतर लोग नेपाली मूल के हैं। 4. छंग यहाँ का स्थानीय मद्य है, जो खास मौके पर पिया जाता है. ये शराब बाँस से बनती है। 5. सिक्किम में हर साल मार्च से मई माह के बीच अंतर्राष्ट्रीय पुष्प महोत्सव का आयोजन होता है। इस छोटे से राज्य में 600 तरह के पुष्प मिलते हैं, जो 240 तरह के पेड़-पौधे. सिक्किम प्राकृतिक रूप से भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। 6. सिक्किम पक्षियों के लिए स्

मेरे संग की औरतें

  मेरे संग की औरतें/ --- मृदुला गर्ग प्रश्न 1: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं? उत्तर : लेखिका की नानी भारतीय रहन-सहन और भारतीय संस्कृति में ढली हुई महिला थीं। विलायती रीति-रिवाजों में रह रहे उनके पति अर्थात नाना जी का भी उन पर कोई असर अथवा प्रभाव नहीं पड़ा। देश की आजादी से जुड़े देशप्रेमी सिपाहियों के प्रति  नानी के मन में विशेष लगाव था। नानी स्वतंत्र विचार रखने वाली, दृढ़ स्वभाव की, देशभक्ति की भावना से प्रेरित एक महिला थीं। उनके चरित्र और व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के कारण लेखिका अपनी नानी से प्रभावित थीं। प्रश्न 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही? उत्तर: लेखिका की नानी घरेलू काम-काजों में व्यस्त, पारंपरिक रीति-रिवाजों को मानने वाली, पर्दानशीं एवं शर्मीली स्वभाव की नारी थीं। इसके बावजूद नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से बात कर अपनी बेटी के लिए दामाद के रूप में आजादी का सिपाही ढूँढ़ा और उसके हाथ पीले कराए। इस तरह उसने अपने कर्तव्य का ही निर्वाह नहीं किया, बल्कि अपनी देशभक्ति का भ

तिब्बत के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  तिब्बत के बारे में विस्मित कर देने वाले कुछ रोचक तथ्य तिब्बत समुद्र-तट से तीन मील की ऊँचाई पर स्थित एक धार्मिक देश है जहाँ बौद्ध धर्म का खूब विकास हुआ। यूँ तो तिब्बत के बारे में बहुत-सी बातें बताई जा सकती हैं, परंतु यहाँ उसके बारे में कुछ अत्यंत रोचक तथ्य प्रस्तुत  किए जा रहे हैं। 1. दुनिया की कुल 46% आबादी तिब्बत से उत्पन्न होने वाली पाँच मुख्य नदियों पर निर्भर करती है। 2. हिमालयन मोनाल तिब्बत का राष्ट्रीय पक्षी है। 3. ‘जौ’ तिब्बत में पैदा होने वाली सबसे मुख्य फसल है। जौ से बने आटे से ‘संपा’ बनाया जाता है जो तिब्बत के लोगों का सबसे मुख्य खाद्य पदार्थ है। यहाँ मांसाहार ज़्यादातर याक, बकरी और मटन से मिलता है। 4. तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत सारे ऊँचे पर्वत शिखर हैं। तिब्बत समुद्र के लेवल से लगभग साढ़े चार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। 5. तिब्बत में कोई भी KFC नहीं है, क्योंकि दलाई लामा ने उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे मुर्गियों को बड़े पैमाने पर मारने से तिब्बत की पारंपरिक मूल्यों का उल्लंघन होता है। 6. सन् 2005 में फ

कैदी और कोकिला/ माखनलाल चतुर्वेदी

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  कैदी और कोकिला                         -- माखनलाल चतुर्वेदी प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर : कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा जैसे कोयल उसके लिए किसी का कोई संदेशा लेकर आई है। कवि को ऐसा लगता है कि वह संदेशा शायद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए कोयल सुबह होने की प्रतीक्षा भी न कर सकी और अर्धरात्रि को ही संदेशा देने कवि के पास पहुँची। प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर : कवि ने कोकिल के बोलने के कई कारणों की संभावना व्यक्त की है। उनके अनुसार-- (i) कोयल शायद कोई बहुत जरूरी संदेशा लेकर आई हो। (ii) उसने कहीं किसी क्रांति के दावानल की ज्वाला देख ली हो और उसकी खबर देने आई हो। (iii) देशवासियों में मधुर विद्रोह बीज बोने के लिए बोल उठी हो । (iv) अंग्रेज शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो। (v) कैदियों के मन में देशभक्ति की भावना जगाने आई हो। प्रश्न 3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ? उत्तर : कविता में अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों प

उपभोक्तावाद की संस्कृति/ श्यामाचरण दुबे

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  उपभोक्तावाद की संस्कृति                       लेखक: श्यामाचरण दुबे प्रश्न 1: लेखक के अनुसार जीवन में 'सुख' का अभिप्राय क्या है? उत्तर : लेखक के अनुसार विविध भोग विलास की सामग्रियों का प्रयोग, शारीरिक सुख, सुंदरता बढ़ाने के साधनों का प्रयोग, भ्रमण विलास, सुविधासंपन्न भवनों में निवास आदि को ही वास्तविक सुख नहीं माना जाना चाहिए। 'सुख' से लेखक का अभिप्राय नैतिक मूल्यों के अनुसार जीवन-यापन, मानसिक शांति, परोपकारपूर्ण कार्य से प्राप्त सुख से है। प्रश्न 2: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर : आज की उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे दैनिक जीवन को जाने-अनजाने भीतर से ही खोखला कर दिया है। आज हम कोई सामान खरीदते समय आकर्षक विज्ञापन, विलासिता और दिखावटी सौंदर्य की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसकी गुणवत्ता, उपयोगिता और आवश्यकता पर ध्यान नहीं देते। विज्ञापनों के प्रभाव से सारा समाज दिशाहीन हो गया है और अपने लक्ष्य से भटक गया है। प्रश्न 3: गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? उत्तरः गांधीजी ने बहुत पहले

एक कहानी यह भी/ मन्नू भंडारी

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एक कहानी यह भी                --मन्नू भंडारी  प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिताजी, हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल, पिताजी के घनिष्ठ मित्र डॉक्टर अंबालाल से लेकर अनेक लोगों का प्रभाव पड़ा। पिताजी से लेखिका ने घर, समाज--- हर कहीं अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की सीख ली। हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उनमें पुस्तकों के चयन के साथ-साथ विभिन्न साहित्य और साहित्यकारों के प्रति रुचि ही उत्पन्न नहीं की, चारदीवारी में रह रही लेखिका में खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का जोश भी भरा। डॉ अंबालाल जी ने भी उनके भाषण और साहस का समर्थन कर हौसला बढ़ाया। प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तरः इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर इसलिए संबोधित किया है, क्योंकि उनका मानना है कि निरंतर रसोई में अपना समय अथवा पूरा जीवन व्यतीत करने से महिलाओं की प्रतिभा और क्षमता रसोई की भट्टी में ही जलकर राख हो जाती है। उन्हें रसोई

लखनवी अंदाज/यशपाल

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    लखनवी अंदाज             लेखक: यशपाल प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर : डिब्बे में अचानक लेखक के प्रवेश करने से सफेदपोश नवाब साहब की आँखों में और उनके एकांत चिंतन में बाधा पड़ने का असंतोष दिखाई दिया। उन्होंने लेखक के साथ बिना बात किए देर तक खिड़की से बाहर देखा। लेखक के साथ संगति के लिए उन्होंने कोई उत्साह भी नहीं दिखाया। नवाब साहब के इन्हीं हाव-भावों से लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं। प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? उत्तर : नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का, उन्हें बेहद स्वादिष्ट बनाया और अंत में सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि लेखक को उनकी अमीरी दिखे अथवा खानदानी रइसी का पता चले। इससे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्