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सालिम अली की जीवनी

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  भारत के ‘बर्डमैन’  सालिम अली का जीवन परिचय   सलीम अली को भारत में पक्षियों के मसीहा के रूप में पहचाना जाता है। भारत के महान प्रकृतिवादी और पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली को ‘भारत का 'बर्डमैन‘ भी कहा जाता है। पक्षी विज्ञानी सालिम अली का पूरा नाम सालिम मोयजुद्दीन अब्दुल अली था। सालिम अली उम्र भर पक्षियों की सेवा में लगे रहे। बचपन से ही उन्हें पक्षियों से बड़ा लगाव था। वे हमेशा से पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक रहा करते थे। पक्षियों के प्रति असीम लगाव के कारण ही इन्हें पक्षियों का मसीहा भी कहा गया। छोटी उम्र से ही इन्हें पक्षियों के बारे में जानने की बेहद उत्सुकता रहती थी। बड़े होने के बाद पक्षियों की सेवा और उनका बचाव करना ही उन्होंने अपना परम कर्त्तव्य बना लिया। आगे चलकर वे भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी, प्रकृतिवादी और वन्‍यजीव संरक्षणवादी के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने पक्षी सर्वेक्षण हेतु व्यवस्थित रूप से कई कदम उठाये। पक्षियों के संरक्षण हेतु उन्होंने राजस्थान के भरतपुर पक्षी उद्यान को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। पक्षी विज्ञान में अहम योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार

माखनलाल चतुर्वेदी की कुछ कविताएँ

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  माखनलाल चतुर्वेदी की  कुछ कविताएँ (1) हौले-हौले, धीरे-धी रे तुम ठहरे, पर समय न ठहरा, विधि की अंगुलियों की रचना-- तोड़ चला यह गूँगा, बहरा। घनश्याम के रूप पधारे हौले-हौले, धीरे-धीरे, मन में भर आई कालिन्दी झरती बहती गहरे-गहरे। तुम बोले, तुम खीझे रीझे, तुम दीखे अनदीखे भाये, आँखें झपक-झपक अनुरागीं, लगा कि जैसे तुम कब आये? स्वर की धारा से लिपटी जब गगन-गामिनी शशि की धारा, उलझ गया मैं उन बोलों में, मैंने तुझको नहीं सँवारा। चन्दन, चरण, आरती, पूजा, कुछ भी हाय न कर पाया मैं, तुम किरणों पर बैठ चल दिये, किरणों में ही भरमाया मैं! पा कर खो देने का मन पर कितना लिखा विस्मरण गहरा! विधि की अंगुलियों की रचना, तोड़ चला यह गूंगा बहरा। तुम ठहरे, पर समय न ठहरा, तुम ठहरे, पर समय न ठहरा।। ===================================== (2) ऊषा यह बूँद-बूँद क्या? यह आँखों का पानी, यह बूँद-बूँद क्या? ओसों की मेहमानी, यह बूँद-बूँद क्या? नभ पर अमृत उँड़ेला, इस बूँद-बूँद में कौन प्राण पर खेला! लाओ युग पर प्रलयंकरि वर्षा ढा दें, सद्य-स्नाता भू-रानी को लहरा दें। ऊषा बोली, दृग-द्वार खोल दे अपने, मैं ला

कबीरदास के कुछ लोकप्रिय दोहे

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कबीरदास के कुछ लोकप्रिय दोहे [1]  दुःख में सुमिरन सब  करे ,सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय।। [2] बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।। [3]  साईं इतना दीजिये जामें कुटुम्ब समाये । मैं भी भूखा न रहूँ ,साधु न भूखा जाये ।। [4] निंदक नियरे राखिये, आँगनि कुटी छवाय । बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। [5] अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप । अति का भला न बरसना , अति की भली न घूप ।। [6] तिनका कबहु ना निंदिये ,जो पाँव तलि होय । कबहु उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ।। [7] मालि आवत देखि के कलियाँ करे पुकार । फूले फूले चुन लिये,काल्ह हमारि बार ।। [8] काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होयेगी , बहुरि करेगा कब ।। [9] जिन खोजा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठ । मैं बपुरो बूड़न डरा, रहा किनारे बैठ ।। [10] कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढत बन माही। ऐसो घट– घट राम हैं, दुनिया देखे नाही ।। [11] पानी कर बुदबुदा, अस मानुस की जात। एक दिन छिप जायेगा, ज्यों तारा प्रभात ।। [12] गुरु गोविंद दोउ खड़े काको लागूँ पाय । बलिहारी गुरु आपने,

कक्षा ९(नौ) के लिए पोर्टफोलियो कार्य

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  कक्षा नौ के लिए  पोर्टफोलियो कार्य (1) स्व मूल्यांकन आपने अपने पाठ्यक्रम में कबीर की कुछ साखियाँ (दोहे) और सबद पढ़े हैं। कबीर ने इस तरह सैकड़ों की संख्या में दोहे और सबदों की रचना की है। उनमें से लोकप्रिय 10(दस) दोहों का संकलन कीजिए : (2) समूहगत मूल्यांकन कैदी और कोकिला के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा रचित अन्य कविताओं का संग्रह कीजिए: (3) सहपाठी मूल्यांकन निम्नलिखित 5 प्रश्नों के उत्तर शुद्ध वर्तनी और सुंदर हस्तलेखन के साथ लिखिए और अपने सहपाठी से मूल्यांकन करवाइए: (क) सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए: (ख) 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए:  (ग) बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है? (घ) लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है? (ङ) नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए: --- जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की की

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'माँ' शीर्षक पर कुछ कविताएँ

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           (1)  माँ की परिभाषा                                                                                      हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है बस यही माँ की परिभाषा है। हम समुंदर का हैं तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर, हम एक शूल हैं तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर, हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है, हम पत्थर के हैं कण वह कंचन की कनिका है, हम बकवास हैं वह भाषण है, हम सरकार हैं वह शासन है, हम लव कुश हैं वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है, हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है, वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है, हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है, बस यही माँ की परिभाषा है। बस यही माँ की परिभाषा है।                              --- कवि: शैलेश लोढा ==================================== (2 ) मेरी प्यारी माँ जब आँख खुली तो अम्‍मा की गोदी का एक सहारा था। उसका नन्‍हा-सा आँचल मुझको भूमण्‍डल से प्‍यारा था।। उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था। उसके स्‍तन की एक बूँद से मुझको जीवन मिलता था।। हाथों से बाल

ध्वनि/सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

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  ध्वनि --कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला ' अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत-- अभी न होगा मेरा अंत हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निद्रित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर। पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं, द्वार दिखा दूँगा फिर उनको हैं वे मेरे जहाँ अनंत-- अभी न होगा मेरा अंत। ।।

सुभाष चन्द्र बोस की विस्तृत जीवनी

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        सुभाष चन्द्र बोस जन्मः   23 जनवरी, 1897 जन्मस्थान : कटक, बंगाल प्रेसीडेंसी का ओड़िसा डिवीजन, ब्रिटिश भारत राष्ट्रीयता : भारतीय शिक्षा : बी०ए० (आनर्स) शिक्षा प्राप्त की : कलकत्ता विश्वविद्यालय से पदवी : अध्यक्ष (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1938) सुप्रीम कमाण्डर : आज़ाद हिन्द फ़ौज प्रसिद्धि का कारण:  भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा सबसे बड़े नेता, राजनैतिक पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1921–1940, फॉरवर्ड ब्लॉक 1939–1940, जीवनसाथी : एमिली शेंकल (1937 में विवाह किन्तु जनता को 1993 में पता चला) बच्चे:   अनिता बोस फाफ संबंधी : शरतचन्द्र बोस (भाई),शिशिर कुमार बोस (भतीजा) और अन्य  सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया 'जय हिंद' का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा" का नारा भी उनका था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स