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संगतकार (प्रश्नोत्तर)

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   संगतकार                -- मंगलेश डबराल प्रश्न 1: संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? उत्तर : संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत  करना चाह रहा है जो नेतृत्व स्थानीय व्यक्तियों की सफलता में पर्दे के पीछे रहकर अपना योगदान देते हैं। ये लोग बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान तो देते हैं परंतु लोगों की निगाह में नहीं आ पाते हैं अथवा सफलता के श्रेय से वंचित रह जाते हैं। मुख्य गायक की सफलता में साथी गायक, वाद्यवादक, अन्य कलाकार, ध्वनि एवं प्रकाश की व्यवस्था देखने वाले कर्मचारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है, परंतु उन्हें इसका श्रेय कभी नहीं मिल पाता है। प्रश्न 2: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं? उत्तर: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा भी बहुत सारे क्षेत्रों में दिखाई देते हैं; जैसे-- (i) खेल में जीत का श्रेय हमेशा अधिनायक को मिलता है, जबकि विजेता बनाने में अनेक खिलाड़ी, कोच एवं अन्य अनेक लोगों का योगदान भी होता है। (ii) राजनीति के क्षेत्र में जीत केवल किसी उम्मीदवार विशेष की होती है, परंतु

फसल (प्रश्नोत्तर)

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  फसल       -- नागार्जुन प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर:   कवि के अनुसार फसल-- (i) नदियों के पानी का जादू है। (ii) लाखों-करोड़ों किसान और मेहनती लोगों के द्वारा किए गए परिश्रम की गरिमा है। (iii) भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है। (iv) सूरज की किरणों का रूपांतर है।  (v) हवा की थिरकन का सहयोग है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?   उत्तरः कविता में फसल उपजाने के लिए प्रकृति और मनुष्य दोनों के पारस्परिक सहयोग की बात कही गई है, जो निम्नलिखित हैं-- (i) केवल एक-दो नदियों का नहीं, अपितु अनेक नदियों का पानी। (ii) लाखों करोड़ों किसान, मजदूर एवं मेहनती लोगों का परिश्रम। (iii) केवल एक-दो खेतों का नहीं, अपितु हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म। (iv) सूरज की किरणें। (v) हवा की थिरकन। प्रश्न 3: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर : कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूरज की किरणें और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसानों
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   यह दंतुरित मुस्कान                                      --- नागार्जुन   प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुस्कान पर कवि का मन मोहित हो जाता है। उसे लगता है यह मुस्कान एक मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल देगी। उस मुस्कान को देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल भी पिघल जाएगा। कवि को ऐसा लगता है मानो कमल का सुंदर फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया हो। प्रश्न 2: बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है? उत्तर : बच्चे की मुस्कान में मासूमियत होती है। उसकी मुस्कान में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होती। उसकी मुस्कुराहट में प्रसन्नता, खुशी और मस्ती की भावना भरी होती है। जबकि बड़े व्यक्ति की मुस्कान चालाकी भरी हो सकती है। उसकी मुस्कान में कोई उद्देश्य, स्वार्थ अथवा किसी के प्रति दुर्भावना भी हो सकती है। बच्चों की मुस्कान के साथ बड़ों की मुस्कान की तुलना नहीं हो सकती। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तरः कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य
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अट नहीं रही है                   कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'  प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तरः फागुन के महीने में पेड़-पौधों में रंग-बिरंगे फूल, हरे कोमल पत्ते, मंद बहती हवाओं के कारण प्रकृति की सुंदरता में अनुपम निखार आ जाता है। फागुन की सुंदरता चारों तरफ नजर आने लगती है। वातावरण उल्लासमय होने लगता है। कवि की आँखें फागुन की सुंदरता से अभिभूत हैं। इसलिए चाहकर भी कवि इस फागुन की सुंदरता से अपनी आँखें नहीं हटा पा रहा है।  प्रश्न 2: प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?  उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिखित रूपों में किया है-- (i) समस्त प्रकृति फल-फूलों से लद गई है। (ii) सृष्टि का कण-कण उत्साह व उमंग से भर गया है। (iii) सुंदरता की व्यापकता के दर्शन पेड़-पौधे, फूल-पत्ते, मंद बहती सुगंधित हवा आदि सब में हो रहे हैं।  प्रश्न 3: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?  उत्तर : फागुन में प्रकृति की शोभा हर तरफ अथवा हर जगह एक जैसी अतुलनीय

उत्साह (प्रश्नोत्तर)

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उत्साह                कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है, क्यों?  उत्तर : कवि समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करना चाहता है। वह समाज में परिवर्तन एवं नवजीवन लाना चाहता है। वह बादल को क्रांति का सूत्रधार बनने का आह्वान करता है और उसके माध्यम से हर किसी में जोश, उत्साह और पौरुष का संचार करना चाहता है ताकि बादल के गरजने से क्रांति का संदेश जन-जन तक पहुँचे। इसलिए कवि बादल से फुहारने अथवा रिमझिम बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है। प्रश्न 2: कविता का शीर्षक 'उत्साह' क्यों रखा गया है?  उत्तर : सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 'उत्साह' कविता एक आह्वान गीत है। आह्वान गीत उत्साह के प्रतीक होते हैं। बादल की गर्जना एवं क्रांति की चेतना लोगों में उत्साह का संचार करती है। कवि कविता के माध्यम से क्रांति लाने के लिए लोगों में उत्साह का संचार करना चाहता है। इसलिए कवि 'निराला' के द्वारा कविता का शीर्षक 'उत्साह' रखा गया है। प्रश्न 3: कविता में बादल किन-क

एक कहानी यह भी(प्रश्नोत्तर)

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  एक कहानी यह भी                                   -- मन्नू भंडारी   प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिताजी, हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल, पिताजी के घनिष्ठ मित्र डॉक्टर अंबालाल से लेकर अनेक लोगों का प्रभाव पड़ा। पिताजी से लेखिका ने घर, समाज--- हर कहीं अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की सीख ली। हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उनमें पुस्तकों के चयन के साथ-साथ विभिन्न साहित्य और साहित्यकारों के प्रति रुचि ही उत्पन्न नहीं की, चारदीवारी में रह रही लेखिका में खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का जोश भी भरा। डॉ अंबालाल जी ने भी उनके भाषण और साहस का समर्थन कर हौसला बढ़ाया। प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तरः इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर इसलिए संबोधित किया है, क्योंकि उनका मानना है कि निरंतर रसोई में अपना समय अथवा पूरा जीवन व्यतीत करने से महिलाओं की प्रतिभा और क्षमता रसोई की भट्टी में ही जलकर राख ह

प्रेमचंद के फटे जूते(प्रश्नोत्तर)

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  प्रेमचंद के फटे जूते                        --- हरिशंकर परसाई प्रश्न 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? उत्तर : प्रेमचंद एक संघर्षशील लेखक थे। वे सादा जीवन परंतु उच्च विचार के पक्षधर थे। वे गैर समझौतावादी और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। सामाजिक कुप्रथाओं और परंपरावादी रूढ़ियों के वे घोर विरोधी थे। वे दिखावटीपन से दूर रहते थे और चारित्रिक दृढ़ता को मनुष्य का मुख्य गुण मानते थे। कुल मिलाकर वे पाठ में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में पाठकों के सामने आते हैं। प्रश्न 2: सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए-- (क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- बाएँ जूते में बड़ा छेद हो गया है) (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। उत्तर : ✓(सही कथन) (ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- प्रेमचंद की व्यंग्य मुसकान लेखक परसाई के हौसले पस्

साँवले सपनों की याद(प्रश्नोत्तर)

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    साँवले सपनों की याद                                         --- जाबिर हुसैन प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? उत्तर : बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए। प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं? उत्तर : सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँख

शब्द संदोह/ मूलः जनार्दन घिमिरे

शब्द संदोह अनुवादकीय -- पुरुषोत्तम पोख्रल विभागाध्यक्ष (हिंदी)  डीएवी सुशील केडिया विश्वभारती  काठमांडू, नेपाल बचपन में मैंने संस्कृत पढ़ने में कभी रुचि नहीं दिखाई, जबकि असमीया, हिंदी, अंग्रेजी, नेपाली, बंगाली आदि भाषाओं के प्रति विद्यार्थी जीवन में मेरी अधिक रुचि रही जो आज भी कायम है। जब तक मुझे संस्कृत का महत्व समझ में आने लगा तब तक मेरा औपचारिक विद्यार्थी जीवन समाप्त हो चुका था। अनौपचारिक रूप में संस्कृत सीखने में मैंने कभी रुचि नहीं दिखाई। मेरे पिताजी संस्कृत के एक बहुत अच्छे जानकार थे। बचपन में संस्कृत सीखने के हल्के दबाव पिताजी से हमेशा प्राप्त होते रहे, लेकिन मजबूर कभी नहीं किया। बचपन से ही इस भाषा में श्राद्धादि कर्मकांड आदि मात्र होते हुए देखा। संस्कृत सीखने वाले विद्यार्थियों को भी श्राद्ध, कथा वाचन, स्तोत्र वाचन से आगे कुछ विशेष करते हुए नहीं देखा। विद्यालय स्तर में संस्कृत अध्यापन करने वाले गुरुवर्ग को भी श्राद्ध, पूजा-पाठ आदि कार्यों में ही ज्यादातर उलझते देखा। संस्कृत कितनी विशालता समेटी हुई भाषा है, इसकी महत्ता न विद्यार्थियों को कोई समझा पा रहा था, न गुरुवर्ग ही देने मे

माँ-पापा का कहना मानो

 माँ-पापा का कहना मानो सर्दियों का मौसम था। नन्हे खरगोश के घर को चारों ओर घास-फूस लगाकर गर्म रखा जाता था। रात होने वाली थी। नन्हे खरगोश के मम्मी-पापा ने उससे कहा, आ जाओ नन्हे, सो जाओ। रात होने वाली है और बाहर ठंड भी बहुत है। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही। मुझे बाहर जाकर खेलना है। नन्हे ने कहा। बेटा, कल सुबह खेल लेना। रात में बाहर जाओगे तो बीमार हो जाओगे। मम्मी ने उसे समझाया। मम्मी की बात मानकर नन्हे आकर लेट गया। लेकिन उसे जरा भी नींद नहीं आ रही थी। वह थोड़ी देर लेटा। फिर मम्मी-पापा से छिपकर बाहर आ गया और जंगल में घूमने निकल पड़ा। वह चलता जा रहा था। इस तरह कभी भी वह जंगल की ओर नहीं आया था। लेकिन वह रास्ता ध्यान से देख रहा था। मिट्टी में उसके पाँवों के छोटे-छोटे निशान बनते जा रहे थे। इनकी मदद से मैं घर वापिस पहुँच जाऊँगा, उसने सोचा। वह काफी दूर आ गया था। तभी जोर से आँधी चलने लगा। वापिस जाने का रास्ता उसके पाँवों के वो निशान ही बता सकते थे। लेकिन तेज आँधी ने इतनी धूल उड़ाई थी कि निशान मिट गए थे। वह घबराकर इधर-उधर भागने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा थी कि क्या करे ? नन्हे बहुत दर गया था। दौड़ते-दौड़ते उ

बड़े भाई साहब/प्रेमचंद

  बड़े भाई साहब (कहानी)                               लेखक: मुंशी प्रेमचंद मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन तीन दरजे आगे। उन्‍होने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया; लेकिन तालीम जैसे महत्‍व के मामले में वह जल्‍दबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भवन कि बुनियाद खूब मजबूत डालना चाहते थे जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख्‍ता न हो, तो मकान कैसे पाएदार बने। मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की, वह चौदह साल ‍के थे। उन्‍हें मेरी निगरानी का पूरा जन्‍मसिद्ध अधिकार था। और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्‍म को कानून समझूँ। वह स्‍वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी काॅपी पर, कभी किताब के हाशियों पर चिडियों, कुत्‍तों, बिल्लियों की तस्‍वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्‍द या वाक्‍य दस-बीस बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुन्‍दर अक्षर से नकल करते। कभी ऐसी शब्‍द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्‍य! मसलन

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (व्याकरण)/कक्षा:आठ

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संक्षिप्त प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: गृहस्थ, घातक, जीवन, दुर्लभ, दिवाकर  उत्तर:  गृहस्थ -- संन्यासी घातक ---- रक्षक  जीवन ---- मृत्यु  दुर्लभ ---- सुलभ  दिवाकर ---- निशाकर  प्रश्न 2: 'अधिक' शब्द का विलोम शब्द लिखिए। उत्तर : न्यून प्रश्न 3: निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए: उत्तर:  (i) जो बात पहले कभी न हुई हो ---- अभूतपूर्व  (ii) जिस पर अभियोग लगाया गया हो ---- अभियुक्त  (iii) जिसे छोड़ा न जा सके ---- अनिवार्य  (iv) जो पहले पढ़ा न हो ---- अपठित  (v) मरते दम तक --- आमरण  प्रश्न 4: 'उपजाऊ भूमि' और 'अनुपजाऊ भूमि' वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए।  उत्तर : उपजाऊ भूमि -- उर्वर         अनुपजाऊ भूमि -- उसर प्रश्न 5: कर्ण, अर्जुन, श्रवण और श्रवणेंद्रिय -- इनमें से कौन-सा शब्द 'कान' का पर्यायवाची शब्द नहीं है? उत्तर : अर्जुन  प्रश्न 6: 'कोयल' के पर्यायवाची शब्द लिखिए। उत्तर : पिक, कोकिल, श्यामा, कलकंठी, कोकिला, परभृत, वसंतदूत प्रश्न 7: कालीय नाग, समय, मृत्यु और मौसम -- इनमें से कौन-सा शब्द 'काल' का अ

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर/कक्षा: नौ

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संक्षिप्त प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: उपभोक्तावाद की संस्कृति के कारण धीरे-धीरे क्या बदल रहा है? उत्तर : जीवन जीने का ढंग  प्रश्न 2: आफ्टर सेव और कोलोन से पहले पुरुषों का काम किससे चल जाता था?  उत्तरः साबुन और तेल से प्रश्न 3: आज लोग सच्चा सुख किस में मानते हैं? उत्तर : ज्यादा से ज्यादा सामान संग्रह करने और उनका उपभोग करने में  प्रश्न 4: लेखक के अनुसार हमारी नई संस्कृति किसका अंधा अनुकरण कर रही है? उत्तरः पश्चिमी संस्कृति का प्रश्न 5: उत्पाद को महत्व देने से क्या बदल रहा है? उत्तर : मनुष्य का चरित्र  प्रश्न 6: लेखक ने पिज़्ज़ा और बर्गर को कूड़ा खाद्य क्यों कहा है?  उत्तरः स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के कारण प्रश्न 7: उत्पाद को समर्पित होने से क्या अभिप्राय है? उत्तर : वस्तुओं के उत्पादन और भोग में व्यस्त रहना प्रश्न 8: आज के लोगों के द्वारा संगीत की समझ न होने पर भी कीमती म्यूजिक सिस्टम खरीदना क्या दर्शाता है? उत्तरः दिखावे की संस्कृति प्रश्न 9: 'वर्चस्व' स्थापित होने का क्या अर्थ है? उत्तर : महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करना प्रश्न 10: गांधी जी ने किस बात पर कायम रहकर सांस्कृति

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर/कक्षा: आठ

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  संक्षिप्त प्रश्नोत्तर  प्रश्न 1: बदलू कहाँ का रहने वाला था? उत्तर: लेखक के मामा के गाँव का प्रश्न 2: बदलू कौन था? उत्तर: मनिहार प्रश्न 3: लेखक बदलू को 'बदलू काका' क्यों कहता था? उत्तर: क्योंकि गाँव के सभी बच्चे उसे 'बदलू काका' कहा करते थे  प्रश्न 4: बदलू प्रतिदिन कितनी चूड़ियाँ बना लिया करता था?  उत्तरः चार-छह जोड़े प्रश्न 5: बदलू कहाँ बैठकर अपना काम करता था? उत्तर: नीम के पेड़ के नीचे बैठकर प्रश्न 6: बेलन पर चढ़ी चूड़ियाँ बदलू को कैसी लगती थीं? उत्तरः नववधू की कलाइयों पर सजी चूड़ियों जैसी प्रश्न 7: भट्ठी में बदलू क्या पिघलाया करता था? उत्तर: लाख प्रश्न 8: पिता की बदली होने का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तरः लेखक मामा के घर नहीं जा सका प्रश्न 9: बदलू का मकान कैसे स्थान पर बना था? उत्तर: कुछ ऊँचे स्थान पर  प्रश्न 10: मामा के गाँव में लेखक का अधिकतर समय कहाँ बीतता था?  उत्तरः बदलू काका के घर प्रश्न 11: 'बस की यात्रा' पाठ के लेखक का नाम क्या है? उत्तर: हरिशंकर परसाई  प्रश्न 12: 'बस की यात्रा' पाठ में महात्मा गांधी के किस आंदोलन का उल्लेख है?  उत्तर: असहय

अभ्यास प्रश्नोत्तर/कक्षा ८

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अभ्यास प्रश्नोत्तरमा ला प्रश्न 1: लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई? उत्तर : लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जग गई कि वह बस के टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। दो-चार पैसे कमाने के लिए जान जोखिम में डालने की ऐसी सोच लोगों में कम ही दिखाई देती है, जिसे देखकर लेखक वास्तव में आश्चर्यचकित हो गया। प्रश्न 2:  लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था? उत्तर : बस की दशा बहुत खराब थी। कभी भी उसकी ब्रेक फेल हो सकती थी या कोई पुरजा खराब हो सकता था। ऐसी स्थिति में जो भी पेड़ आता उसे देखकर लेखक को डर लगता था कि कहीं उसकी बस उन पेड़ों से न टकरा जाए। इसलिए लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन समझ रहा था। प्रश्न 3: पत्र को खत, कागद, उत्तरम्‌, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी, पत्र इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए। उत्तर : खत – उर्दू कागद – कन्नड़ उत्तरम्‌ – तेलूगु जाबू – तेलूगु लेख – तेलूगु कडिद – तमिल पाती – हिन्दी चिट्ठी – हिन्दी पत्र – संस्कृत प्रश्न 4:  पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस

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लघुकथा लेखन/ कक्षा 9

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                         लघुकथा लेखन                 लालच बुरी बला है  एक गाँव में एक सेठ रहता था। उसके बंगले के पास ही एक गरीब मोची की छोटी-सी दुकान थी। उस मोची की आदत थी कि वह जब भी जूते सिलता, भगवान का भजन भी करता था। लेकिन सेठ का भजन की तरफ कोई ध्यान नहीं रहता था। एक दिन सेठ व्यापार के सिलसिले में विदेश गया। घर लौटते वक्त उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई, लेकिन पैसे की कमी न होने से देश-विदेश से डॉक्टरों को बुलाया गया। पर कोई भी सेठ की बीमारी का इलाज नहीं कर सका। अब सेठ की तबीयत इतनी खराब हो गई कि वह चल भी नहीं पाता था। एक दिन बिस्तर पर लेटे हुए उसे मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी। उसे आज मोची के भजन अच्छे लग रहे थे। सेठ भजन सुनकर ऐसा मंत्रमुग्ध हो गया कि उसे लगा जैसे उसे साक्षात परमात्मा के दर्शन हो गए। मोची का भजन सेठ को उसकी बीमारी से दूर ले जा रहा था। भगवान के भजन में लीन होकर वह अपनी बीमारी भूल गया और उसे आनंद की प्राप्ति हुई तथा उसके स्वास्थ्य में भी सुधार आने लगा। एक दिन सेठ ने मोची को बुलाकर एक हजार रुपए का इनाम देते हुए कहा कि मेरी बीमारी का इलाज बड़े से बड़े डॉक्टर नहीं कर पा