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'माँ' शीर्षक पर कुछ कविताएँ

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           (1)  माँ की परिभाषा                                                                                      हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है बस यही माँ की परिभाषा है। हम समुंदर का हैं तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर, हम एक शूल हैं तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर, हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है, हम पत्थर के हैं कण वह कंचन की कनिका है, हम बकवास हैं वह भाषण है, हम सरकार हैं वह शासन है, हम लव कुश हैं वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है, हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है, वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है, हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है, बस यही माँ की परिभाषा है। बस यही माँ की परिभाषा है।                              --- कवि: शैलेश लोढा ==================================== (2 ) मेरी प्यारी माँ जब आँख खुली तो अम्‍मा की गोदी का एक सहारा था। उसका नन्‍हा-सा आँचल मुझको भूमण्‍डल से प्‍यारा था।। उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था। उसके स्‍तन की एक बूँद से मुझको जीवन मिलता था।। हाथों से बाल

ध्वनि/सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

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  ध्वनि --कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला ' अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत-- अभी न होगा मेरा अंत हरे-हरे ये पात, डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात। मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर फेरूँगा निद्रित कलियों पर जगा एक प्रत्यूष मनोहर। पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं, द्वार दिखा दूँगा फिर उनको हैं वे मेरे जहाँ अनंत-- अभी न होगा मेरा अंत। ।।

सुभाष चन्द्र बोस की विस्तृत जीवनी

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        सुभाष चन्द्र बोस जन्मः   23 जनवरी, 1897 जन्मस्थान : कटक, बंगाल प्रेसीडेंसी का ओड़िसा डिवीजन, ब्रिटिश भारत राष्ट्रीयता : भारतीय शिक्षा : बी०ए० (आनर्स) शिक्षा प्राप्त की : कलकत्ता विश्वविद्यालय से पदवी : अध्यक्ष (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,1938) सुप्रीम कमाण्डर : आज़ाद हिन्द फ़ौज प्रसिद्धि का कारण:  भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी तथा सबसे बड़े नेता, राजनैतिक पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1921–1940, फॉरवर्ड ब्लॉक 1939–1940, जीवनसाथी : एमिली शेंकल (1937 में विवाह किन्तु जनता को 1993 में पता चला) बच्चे:   अनिता बोस फाफ संबंधी : शरतचन्द्र बोस (भाई),शिशिर कुमार बोस (भतीजा) और अन्य  सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया 'जय हिंद' का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा" का नारा भी उनका था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स

ई-पोर्टफोलियो के लिए कार्य

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  ई-पोर्टफोलियो के लिए कार्य (1) स्वमूल्यांकन आपने हिंदी पाठ्यपुस्तक में सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित वर्षा और वसंत ऋतुओं पर आधारित दो कविताएँ पढ़ी हैं। वसंत ऋतु पर 'निराला' ने एक और कविता 'ध्वनि' की भी रचना की है। इस कविता का संग्रह कीजिए। (2) समूहगत मूल्यांकन कवि ऋतुराज के द्वारा रचित 'कन्यादान' कविता एक माँ के द्वारा अपनी बेटी को दिए गए उपदेशों पर आधारित एक कविता है। कवियों ने माँ की महिमा का वर्णन करते हुए भी अगणित कविताओं की रचना की है। उन कविताओं का संग्रह कीजिए: (3) सह मूल्यांकन निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए और अपने सहपाठी विद्यार्थियों से परीक्षण करवाइए: (क) कवि बादल से  फुहारने अथवा रिमझिम बरसने के स्थान पर गरजकर बरसने के लिए क्यों कहता है? (ख) फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?  (ग) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? (घ) लेखक यशपाल को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? (ङ) 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक

माटीवाली (प्रश्नोत्तर)

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माटीवाली             -- विद्यासागर नौटियाल  प्रश्न 1: 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी पहचानते हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते माटी वाली को सब पहचानते थे?  उत्तर : शहरवासी माटी वाली के कंटेनर तक को अच्छी तरह पहचानते थे क्योंकि शहर भर में माटी पहुँचाने वाली वह अकेली औरत थी। माटी वाली के द्वारा लाई जाने वाली मिट्टी शहर के हर घर की जरूरत थी। प्रश्न 2: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था? उत्तर : माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं था। उसके भाग्य में तो सुबह से शाम तक काम ही काम लिखा था जिससे उसे कभी फुर्सत नहीं होती थी। काम न मिलने पर भूखे रहने की नौबत आती थी। दो व्यक्तियों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने को भी उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता था। प्रश्न 3: 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है?  उत्तर : कई बार अत्यधिक भूख लगने के समय सामान्य भोजन भी स्वादिष्ट लगता है। रोटी चाहे रूखी हो या साग, चाय आदि के साथ, वह भूख के कारण मीठी प्रतीत होती है।

कन्यादान/ऋतुराज (प्रश्नोत्तर)

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कन्यादान      -- ऋतुराज   प्रश्न 1: आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना? उत्तर : कोमलता, धीरता, दया, करुणा आदि स्त्रियों के गुण माने जाते हैं जिनके आधार पर पारिवारिक जीवन की बुनियाद टिकी होती है। अतः माँ चाहती है कि उसकी बेटी आंतरिक रूप से ये गुण अवश्य अपनाए। इसलिए उसने बेटी से कहा तुम लड़की होना। परंतु इन्हें बाहरी रूप से प्रकट करने से वह मना भी करती है क्योंकि इन गुणों को उसकी कमजोरी मानकर ससुराल वाले उस पर अत्याचार कर सकते हैं। वह अपनी बेटी को संसार की वास्तविकता से परिचित करा कर उसे साहसी भी बनाना चाहती है। प्रश्न 2: 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है             जलने के लिए नहीं' (क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है? उत्तर : इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की उस दयनीय स्थिति की ओर संकेत किया गया है जब लड़की को दहेज के नाम पर जलाकर मार दिया जाता है। आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है जलने के लिए नहीं। लेकिन कई बार ससुराल में लड़कियाँ इतनी पीड़ित और दुखी हो जाती हैं कि वे स्वयं को आग लगाकर आत्महत्या कर ल

कक्षा-नौ/ प्रश्नोत्तर लेखन अभ्यास

 प्रश्नोत्तर लेखन अभ्यास   प्रश्न 1: कांजीहौस में पशुओं की जो दुर्दशा थी, उसका वर्णन कीजिए: प्रश्न 2: क्या कांजीहौस की स्थिति का चित्रण अंग्रेज़ों की जेलों की ओर संकेत करता है? तर्क सहित समझाइए: प्रश्न 3: सुमति के साथ ल्हासा की यात्रा के समय लेखक सांकृत्यायन किस वेश में था? उसे ठहरने की कैसी जगह मिली? प्रश्न 4: मनुष्य पक्षियों की मधुर आवाज को सुनकर क्यों रोमांच अनुभव नहीं कर सकता? प्रश्न 5: 'तुम भी जूते और टोपी के आनुपातिक मूल्य के मारे हुए थे।' इस पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए: ।

प्रश्नोत्तर लेखन अभ्यास

प्रश्नोत्तर अभ्यास   प्रश्न 1: फादर बुल्के ने सन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है। कैसे? प्रश्न 2: निराला जी ने अपनी कविता का शीर्षक 'उत्साह' क्यों रखा है? तर्क सहित उत्तर दीजिए। प्रश्न 3: 'लखनवी अंदाज' कहानी में निहित संदेश पर प्रकाश डालिए: प्रश्न 4: 'लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब की एक सनक का वर्णन किया गया है। क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप भी हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनक का वर्णन कीजिए: प्रश्न 5: 'अट नहीं रही है' कविता में 'उड़ने को नभ में तुम पर पर कर देते हो' के आलोक में बताइए कि फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है? ।

लघुकथा-लेखन

 प्रश्न: 'प्यासा कौआ' शीर्षक देते हुए एक संदेशप्रद लघुकथा लिखिए: (शब्द-संख्या: न्यूनतम 200 शब्द)

अनुच्छेद-लेखन

 प्रश्न: 'आधुनिक जीवन में इंटरनेट का महत्व' शीर्षक पर एक अनुच्छेद लिखिए: (शब्द-सीमा: न्यूनतम 200 शब्द)

पत्र लेखन

 प्रश्न: मित्र को उसके माता के देहांत पर सांत्वना-पत्र लिखिए:

मोक्ष/ मूल नेपाली: नवराज पराजुली

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  मोक्ष  --  मूल नेपाली: नवराज पराजुली  -- हिंदी अनुवाद: पुरुषोत्तम पोख्रेल  मैं राही नहीं -- राह हूँ, मुझे कहीं पहुँचना नहीं है मैं यात्री नहीं -- यात्रा हूँ  मुझे कहीं पहुँचना नहीं है  मुझे किसीने नहीं देखा!? इसका दुख नहीं है मुझे  हवा से जिंदा इंसान भी हवा को कहाँ देख पाता है मुझे किसी ने बचाया नहीं!? इसका भी दुख नहीं है मुझे दरख्तें भी तो धूप-बरसात में नहीं ओढ़ते छतरी मैं इस माटी का गर्व हूँ  हूँ सूरज का देखा हुआ एक सपना दरिया का जोड़ा हुआ संबंध हूँ मैं  और हूँ आँधियों से गिराया हुआ सरहद  आकाश के आलिंगन में है अस्तित्व मेरा नहीं हूँ मैं वह हारने वाला मैं तो साक्षी हूँ उस हारने वाले का  वह जीतने वाला!? ...मैं नहीं हूँ मैं तो साक्षी हूँ उस जीतने वाले का भी अस्तित्व! ...मैं नहीं हूँ  मैं तो साक्षी हूँ मुझ में निहित अस्तित्व का भी  मुझे तुम्हारा क्यों होना है?  मुझे तो अपना ही नहीं है होना  मुझे उसका होना है  उसका होना है मुझे तो  जिसका होने के बाद फिर किसी का होना नहीं पड़ता                         ... फिर किसी का होना नहीं पड़ता ---

मानवीय करुणा की दिव्य चमक/प्रश्नोत्तर

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  मानवीय करुणा की दिव्य चमक                                  --- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना  प्रश्न 1: फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?   उत्तर : देवदार एक विशाल एवं छायादार वृक्ष होता है। यह बिना भेदभाव किए सभी को एक समान छाया और शीतलता प्रदान करता है। फादर भी विशाल व्यक्तित्व के धनी थे। उनके मन में सभी के लिए एक समान प्रेम की भावना थी। वह अपने अगणित मानवीय गुणों से सब का उपकार किया करते थे। स्नेह, ममता, आत्मीयता, करुणा आदि से भरपूर विशाल हृदय वाले फादर विभिन्न मांगलिक अवसरों पर उपस्थित होकर सब को अपना आशीष दिया करते थे। इसलिए फादर की उपस्थिति हर किसीको देवदार की छाया जैसी लगती थी। प्रश्न 2: फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं।  किस आधार पर ऐसा कहा गया है? उत्तर :  भारत में रहकर फादर ने स्वयं को पूरी तरह भारतीयता के रंग में रंग लिया था। भारत को ही वे अपना देश मानने लगे थे। भारतीय संस्कृति के प्रति उनके गहरे प्रेम का प्रमाण है उनका शोध ग्रंथ 'रामकथा: उत्पत्ति और विकास'। वे हिंदी को जन-जन की भाषा और भारत की राष्ट्रभाषा बनते हुए देखना चाहते थे। उन्हो

प्रेमचंद के फटे जूते/प्रश्नोत्तर

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  प्रेमचंद के फटे जूते        --- हरिशंकर परसाई प्रश्न 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? उत्तर : प्रेमचंद एक संघर्षशील लेखक थे। वे सादा जीवन परंतु उच्च विचार के पक्षधर थे। वे गैर समझौतावादी और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। सामाजिक कुप्रथाओं और परंपरावादी रूढ़ियों के वे घोर विरोधी थे। वे दिखावटीपन से दूर रहते थे और चारित्रिक दृढ़ता को मनुष्य का मुख्य गुण मानते थे। कुल मिलाकर वे पाठ में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में पाठकों के सामने आते हैं। प्रश्न 2: सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए-- (क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- बाएँ जूते में बड़ा छेद हो गया है) (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। उत्तर : ✓(सही कथन) (ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- प्रेमचंद की व्यंग्य मुसकान लेखक परसाई के हौसले पस्त कर द

बच्चे काम पर जा रहे हैं/प्रश्नोत्तर

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             बच्चे काम पर जा रहे हैं               कवि: राजेश जोशी प्रश्न 1: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए। उत्तर :  कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से हमा रे मन-मस्तिष्क में बाल-मजदूरी करते बच्चों की एक करुण एवं  दयनीय तस्वीर उभरती है। मन में यह विचार आता है कि यह तो इन बच्चों की खेलने-कूदने की उम्र है, किंतु इन्हें भयंकर कोहरे में भी आराम नहीं है।  उनका बचपन खो गया है।   आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण  सुबह-सुबह उठने के लिए और न चाहते हुए भी काम पर जाने के लिए ये बच्चे मज़बूर हैं। प्रश्न 2: कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए? उत्तर : कवि के अनुसार इसे प्रश्न  की भाँति पूछा जाना चाहिए ताकि इसका कोई हल निकले।  अकसर हम समस्याओं को विवरण की तरह लिखते हैं, अतः कोई हल नहीं निकलता। गंभीर समस्याओं को सवालों की तरह लिख