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प्रश्नोत्तर (कृतिका)

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  प्रश्नोत्तर (कृतिका) प्रश्न 1: 'मेरे संग की औरतें' संस्मरण की लेखिका मृदुला गर्ग अपने साथ की किन औरतों से प्रभावित थीं और क्यों? उत्तरः लेखिका मृदुला गर्ग अपने साथ की कई औरतों से प्रभावित थीं, जिनके साथ उनका कोई न कोई रिश्ता था। वे थीं-- उनकी नानी, परदादी और छोटी बहन रेणु। उनकी नानी देश प्रेम से भरी थीं। उन्होंने अपनी सामान्य भूमिका छोड़कर अंतिम समय में पति के मित्र क्रांतिकारी प्यारेलाल जी को बुलाया और उनसे अपनी बेटी का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से कराने का वादा लिया। उनकी दादी ने भी लीक तोड़ते हुए सामाजिक परंपराओं के विपरीत पतोहू के संतान के रूप में लड़के के स्थान पर लड़की की कामना करके समाज के सामने अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। बहन रेणु ने अपने नजरिए से जिंदगी को देखा, समझा और अकेले ही उसका आनंद भी लिया। इन सभी ने लेखिका के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। प्रश्न 2:  'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।'-- इस क्षेत्र में 'मेरे संग की औरतें' पाठ की लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा किए गए प्रयासों का उल्लेख कीजिए। उत्तरः वास्तव में शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिक

संवाद लेखन

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संवाद लेखन 1. स्कूल जाते हुए बच्चों को देखकर काम पर जा रहे कुछ श्रमिक बच्चों के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए। उत्तर :  पहला बच्चा : (दूसरे बच्चे से) अरे! ये बच्चे एक से कपड़े पहने हाथ में पानी की बोतलें और खाने का डिब्बा लिए कहाँ जा रहे हैं?  दूसरा बच्चा : अरे! तुम्हें नहीं पता? ये सब स्कूल जा रहे हैं।  पहला बच्चा : स्कूल क्या होता है? वहाँ ये सब क्या काम करते हैं? दूसरा बच्चा : स्कूल काम करने की नहीं, पढ़ने की जगह होती है। वहीं पर ये सब पढ़ने जाते हैं।   पहला बच्चा : हम स्कूल क्यों नहीं जाते?  दूसरा बच्चा : हम गरीब हैं न? हमें पैसे कमाने के लिए काम पर जाना पड़ता है।  पहला बच्चा : मेरा भी मन स्कूल जाने को करने लगा है। क्या मैं स्कूल जा सकता हूँ?  दूसरा बच्चा : हाँ, क्यों नहीं जा सकते? पर दूसरे स्कूल में। सरकार ने हमारे जैसे बच्चों की पढ़ाई का मुफ्त में इंतजाम कर रखा है। ====================================== प्रश्न 2:  दो मित्रों के बीच ग्रीष्म अवकाश एक साथ बिताने के संबंध में हुई बातचीत को संवाद के रूप में प्रस्तुत कीजिए: उत्तर :  अमितः मित्र सुमित! इस बार की गर्मियों की छुट

अनुच्छेद लेखन

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               अनुच्छेद लेखन बाल मजदूरी की समस्या   बाल मजदूरी से तात्पर्य ऐसी मजदूरी से है, जिसके अंतर्गत 5 से 14 वर्ष तक के बच्चे किसी संस्थान में कार्य करते हैं। जिस आयु में बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, उस आयु में वह किसी दुकान, रेस्टोरेंट, पटाखे की फैक्ट्री, हीरे तराशने की फैक्ट्री, शीशे के सामान बनाने की फैक्ट्री आदि में काम करते हैं। बाल मजदूरी के अनेक कारण होते हैं।  शिक्षा का महत्व न समझ पाने के कारण अशिक्षित व्यक्ति अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं। जनसंख्या वृद्धि बाल मजदूरी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। निर्धन परिवार के सदस्य पेट भरने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को काम पर भेज देते हैं। भारत में बाल मजदूरी जैसी समस्या को गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण इसे प्रोत्साहन मिलता है। देश में कार्य कर रही सरकारी एवं गैर सरकारी और निजी संस्थाओं की समस्या के प्रति गंभीरता दिखाई नहीं देती। बाल मजदूरी की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार कड़े कानून बना सकती है। समाज के निर्धन वर्ग को शिक्षा प्रदान करके बाल मजदूरी को प्रतिबंधित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर के

लघुकथा लेखन

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                       लघुकथा लेखन                 लालच बुरी बला है        एक गाँव में एक सेठ रहता था। उसके बंगले के पास ही एक गरीब मोची की छोटी-सी दुकान थी। उस मोची की आदत थी कि वह जब भी जूते सिलता, भगवान का भजन भी करता था। लेकिन सेठ का भजन की तरफ कोई ध्यान नहीं रहता था। एक दिन सेठ व्यापार के सिलसिले में विदेश गया। घर लौटते वक्त उसकी तबीयत बहुत खराब हो गई, लेकिन पैसे की कमी न होने से देश-विदेश से डॉक्टरों को बुलाया गया। पर कोई भी सेठ की बीमारी का इलाज नहीं कर सका। अब सेठ की तबीयत इतनी खराब हो गई कि वह चल भी नहीं पाता था। एक दिन बिस्तर पर लेटे हुए उसे मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी। उसे आज मोदी के भजन अच्छे लग रहे थे। सेठ भजन सुनकर ऐसा मंत्रमुग्ध हो गया कि उसे लगा जैसे उसे साक्षात परमात्मा के दर्शन हो गए। मोची का भजन सेठ को उसकी बीमारी से दूर ले जा रहा था। भगवान के भजन में लीन होकर वह अपनी बीमारी भूल गया और उसे आनंद की प्राप्ति हुई तथा उसके स्वास्थ्य में भी सुधार आने लगा। एक दिन सेठ ने मोची को बुलाकर एक हजार रुपए का इनाम देते हुए कहा कि मेरी बीमारी का इलाज बड़े से बड़े डॉक्टर नहीं क

निमंत्रण पत्र

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  प्रथम पुण्यस्मरण                                                 परम पूजनीय माता जी, आपकी मधुर स्मृति, अपार ममता, उच्च आदर्श एवं सत् मार्गदर्शन हमारे लिए सदैव प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। आप की प्रथम पुण्यतिथि पर हम समस्त परिवारजन आप के चरणो में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम पर आपका दिव्य आशीर्वाद एवं स्नेह वर्षा हमेशा बनी रहे।                             प्रिय आत्मीयजन,  आगामी दिनांक 10 मार्च, 2023 शुक्रवार के दिन हमारी ममतामयी माँ स्वर्गीय इंदुमती केडिया जी की प्रथम पुण्यतिथि है। उक्त दिन उनके स्मरण में निज निवास पर श्रद्धांजलि सभा, हरिनाम संकीर्तन, शांति पाठ एवं भोज का कार्यक्रम है। अतः इस अवसर पर निज निवास पर आप सभी सादर आमंत्रित हैं। दर्शनाभिलाषी-- --सुनील केडिया/किरण केडिया  --अनिल केडिया/सुनीता केडिया    एवं    केडिया परिवार के सभी सदस्यगण

व्याकरण प्रश्नोत्तरी

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व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रश्न 1: शायद इस वर्ष भारत ऑस्ट्रेलिया से जीत जाएगा।-- अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद बताइए: उत्तर : संदेहवाचक वाक्य प्रश्न 2: 'किसान का लड़का परसों सुबह मुँह अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था।'-- अर्थ की दृष्टि से किस प्रकार का वाक्य है?  उत्तरः विधानवाचक वाक्य प्रश्न 3: यदि तुम जल्दी आ जाते तो हम सिनेमा देखने के लिए निकलते।-- अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद बताइए: उत्तर : संकेतवाचक वाक्य प्रश्न 4: आप सभी के परीक्षा परिणाम शुभ हों।'-- अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद बताइए: उत्तर : इच्छावाचक वाक्य  प्रश्न 5: मनीष नवीं कक्षा में पढ़ता है।-- प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए: उत्तर : क्या मनीष नवीं कक्षा में पढ़ता है? प्रश्न 6: आज गाड़ी समय पर आएगी।-- संदेहवाचक वाक्य में बदलिए: उत्तर : शायद आज गाड़ी समय पर आएगी। प्रश्न 7: 'क्या तुम भयभीत थी?'-- अर्थ के आधार पर कौन-सा वाक्य है? उत्तर: प्रश्नवाचक वाक्य  प्रश्न 8: हम अपने हर कदम की जानकारी बेस कैंप पर दे रहे होंगे।-- वाक्य को संदेहवाचक वाक्य में बदलकर लिखिए: उत्तर : शायद हम अपने हर कदम की जानकारी बेस कैंप प

अलंकार (श्लेष, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, मानवीकरण)

  अलंकार   प्रश्न 1: श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण दीजिए: उत्तर : (i) प्रियतम बतला दे हमें लाल मेरा कहाँ है?  (लाल--- 1. बहुमूल्य रत्न, 2. पुत्र) (ii) मधुबन की छाती को देखो        सूखी कितनी इसकी कलियाँ (कलियाँ-- 1. खिलने से पूर्व फूलों की अवस्था, 2. बचपन का समय) (iii) रहीमन जो गति दीप की कुल कपूत गति सोय।         बारे उजियारो करै बढ़ै अँधेरो होय।। (बारे-- 1. जलाने पर, 2. बचपन में  बढ़ै-- 1. बुझने पर, 2. बड़ा होने पर) (iv) रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।         पानी गए न ऊबरै मोती, मानुष, चून।। (पानी के तीन अर्थ हैं-- 1. चमक, 2. प्रतिष्ठा और 3. जल) (v) चरन धरत चिंता करत चितवत चारहुँ ओर।        सुबरन को खोजत फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।। (सुबरन के तीन अर्थ हैं-- 1. सुंदर शब्द, 2. सुंदर रंग-रूप और  3. स्वर्ण अथवा सोना) (vi) को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर  (वृषभानुजा-- 1. गाय, 2. राधा  हलधर--1. बैल, 2. बलराम) (vii) मंगन को देखि पट देत बार-बार (पट--1. वस्त्र, 2. दरवाजा) प्रश्न 2: उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ उदाहरण दीजिए: उत्तर : (i) माई मानो घन घन अंतर दामिनी (ii) कहती हुई यों उत्त

यात्रा विदेश की, यादें स्वदेश की/ घनश्याम राजकर्णिकार

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यात्रा विदेश की, यादें स्वदेश की     उद्गार साहित्य के महत्वपूर्ण अंग को एक बड़ा योगदान यात्रा संस्मरण के अनेक महत्व हैं। पाँचवीं और सातवीं शताब्दी के करीब नेपाल और भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग के यात्रा संस्मरण भी अनेक कारणों से इतिहासकार आज तक याद करते हैं। आज के अन्वेषण, अनुसंधान के युग में ऐसे यात्रासंस्मरण के माध्यम से लोगों को रोचक जानकारी देने के साथ-साथ ज्ञान की सीढ़ी चढ़ने का मात्र न होकर प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिए आवश्यक प्रेरणा देने का कार्य भी होता है। इसीलिए आज के संदर्भ में यात्रासंस्मरण देश-विदेश के वर्णन में मात्र सीमित न होकर एक मानव की अनुभव-अनुभूति से दूसरे मानव को जानने-समझने की विधा के रूप में भी विस्तृत हो गया है।  श्री घनश्याम राजकर्णिकार की प्रस्तुत पुस्तक में समाहित विभिन्न देशों के भ्रमण वृतांत इसी अर्थ में अविस्मरणीय हो गए हैं। इसमें अपने देश की तुलना में विकसित हो चुके देशों के विकास के रहस्य मात्र अभिलिखित नहीं है, बल्कि एक नेपाली बुद्धिजीवी के मन-मस्तिष्क के द्वारा उसमें निहित दुर्गुण, दुर्भावना और दुष्कृतियाँ भी  ग्रहण की ग

रीढ़ की हड्डी/जगदीश चंद्र माथुर

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  रीढ़ की हड्डी         --- जगदीश चंद्र माथुर  प्रश्न 1: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर "एक हमारा जमाना था..." कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है? उत्तर : बुजुर्ग लोगों द्वारा अपने समय को वर्तमान समय से बेहतर सिद्ध करने का प्रयास और दोनों समय की तुलना करना बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। वर्तमान और भविष्य से निराश व्यक्ति ही इस प्रकार की तुलना करते हैं। उन्हें लगता है कि जितना जो कुछ अच्छा था वह सारा उनके जमाने में ही था। बात-बात पर भूतकाल की तारीफ और वर्तमान की निंदा वे लोग करते हैं जो वर्तमान और भविष्य के साथ अपनी जीवनशैली का तालमेल नहीं बिठा पाते। प्रश्न 2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है? उत्तर : रामस्वरूप ने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा इसलिए दिलाई कि जीवन के हर क्षेत्र में उसकी योग्यता बढ़े, अपने जीवन की जटिलताओं को आसानी से वह सुलझा सके और अपने पैरों पर वह खुद खड़ी हो सके। लेकिन लड़के वालों के द्वारा कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहने पर अपन

बच्चे काम पर जा रहे हैं /राजेश जोशी

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  बच्चे काम पर जा रहे हैं                      --  कवि: राजेश जोशी प्रश्न 1: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे लिखकर व्यक्त कीजिए। उत्तर : कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से हमा रे मन-मस्तिष्क में बाल-मजदूरी करते बच्चों की एक करुण एवं  दयनीय तस्वीर उभरती है। मन में यह विचार आता है कि यह तो इन बच्चों की खेलने-कूदने की उम्र है, किंतु इन्हें भयंकर कोहरे में भी आराम नहीं है।  उनका बचपन खो गया है।   आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण  सुबह-सुबह उठने के लिए और न चाहते हुए भी काम पर जाने के लिए ये बच्चे मज़बूर हैं। प्रश्न 2: कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए? उत्तर : कवि के अनुसार इसे प्रश्न  की भाँति पूछा जाना चाहिए ताकि इसका कोई हल निकले।  अकसर हम समस्याओं को विवरण की तरह लिखते हैं, अतः कोई हल नहीं निकलता। गंभीर समस्याओं को सवालों की तर

मेघ आए/ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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             मेघ आए                                     ---  सर्वेश्वर दयाल सक्सेना प्रश्न 1: बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए। उत्तरः बादलों के आने पर कवि ने प्रकृति की निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को चित्रित किया है-- (i) बादल रूपी मेहमान के आने की सूचना देने के लिए हवा का नाचते गाते चलना, (ii) धूल का घाघरा उठा कर भागना, (iii) पीपल के द्वारा झुककर बादल रूपी मेहमान का स्वागत करना, (iv) लताओं का पेड़ की शाखाओं में छुप जाना, (v) तालाबों का जल से भर जाना, (vi) आकाश में बिजली का चमकना आदि। प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्द किसके प्रतीक हैं?  धूल, पेड़, नदी, लता, ताल  उत्तर: धूलः अतिथि के आगमन से अति उत्साहित चंचल बालिकाएँ पेड़ः ग्रामीण व्यक्ति जो शहरी दामाद के आने पर गर्दन उचका-उचका कर उसे देखता है  नदी : गाँव की युवती जो शहरी दामाद को आता देख उसे ठिठक-ठिठक कर देखती है लता : युवा पत्नी जो बहुत दिनों बाद बादल रूपी प्रियतम के आने से रूठी हुई है और किवाड़ की ओट से उसे देखती है ताल : मेहमान के स्वागत में उनके चरण धोने के लिए परात में लाया हुआ प

तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी

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 तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी पृष्ठ i तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी ======================================= पृष्ठ ii आशा और प्रकाश के कवि बसंत चौधरी नेपाली वाङ्मयों के प्रवर्धन के लिए प्रयासरत अभियंता ही नहीं, एक सिद्धहस्त स्रष्टा तथा प्रेमी कवि भी हैं। नेपाली भाषा के साथ हिंदी भाषा में भी वे अपनी सशक्त रचनाएँ विमोचत  कर चुके हैं। इसी वर्ष नेपाली भाषा में रचित उनकी 85 (पचासी) कविताओं का संग्रह 'तिमी बिना को म' शीर्षक के साथ प्रकाशित हो चुका है। बसंत चौधरीकृत इस कविता संग्रह की सभी कविताएँ जीवन के शाश्वत मूल्यों की खोज के प्रति प्रेरित हैं। मानव मन के भीतर की संवेदनाओंके गहन सरोवर में संवेगजड़ित बिंब तथा कल्पनानिश्चित परिवेश का सुरक्षा कवच पहनकर विचरण करने से प्राप्त सार में ही कवि चौधरी जीवन को परिभाषित करने की कोशिश करते हुए लिखते हैं और ज्यादातर कविताओं में इसी आनंद में वे तल्लीन पाए जाते हैं। कवि की दृष्टि में प्रेम और सद्भावना से निर्मित प्रेममय संसार ही जीवन का अजस्र स्रोत है। प्रेम के इन्हीं स्रोतों की तलाश में ही प्रेम की सार्थकता प्रमाणित होती है। इसी प्रेम के स्रोतरूप प्रेमिका की

मेरी जननी मेरी जन्मभूमि

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पृष्ठ i  मेरी जननी मेरी जन्मभूमि =======/=============================== पृष्ठ ii ======================================= पृष्ठ iii मेरी जननी मेरी जन्मभूमि (बाल यात्रावृत्त) घनश्याम राजकर्णिकार विवेक सृजनशील प्रकाशन प्रा. लि. काठमांडू, नेपाल  ======================================= पृष्ठ iv मेरी जननी मेरी जन्मभूमि विधा: बाल यात्रावृत्त लेखक: घनश्याम राजकर्णिकार संस्करण: प्रथम, 2077 (नेपाली संस्करण) सर्वाधिकार: लेखक में प्रकाशक: विवेक सृजनशील प्रकाशन प्रा. लि. आवरण: युवक श्रेष्ठ  लेआउट: आनंद राउत मुद्रण: बंगलामुखी अफसेट प्रेस ======================================= पृष्ठ v स्नेहासिक्त उपहार  यह बाल यात्रावृत्त मेरे पोते पोतियाँ-- आश्रय, ओजष, हृदयषा,  सुयेशा, रयान, सुवंश  और  श्रयान के लिए  --- घनश्याम राजकर्णिकार ====================================== पृष्ठ vi प्रौढ़ यात्रा संस्मरण के रचनाकार के अनुभव जनित बाल यात्रावृत्त मेरी जननी मेरी जन्मभूमि वरिष्ठ यात्रावृत्तकार घनश्याम राजकर्णिकार इस बार लेखन का एक अलग ही स्वाद लेकर आए हैं। अपनी पहचान दिलाने वाली वाली विधा यात्रावृत्त को नवीन बालस

मेरे बचपन के दिन/ महादेवी वर्मा

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  मेरे बचपन के दिन/ महादेवी वर्मा प्रश्न 1: "मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।"  इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -- (क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?  उत्तर : उस समय लड़कियों की अवस्था अच्छी नहीं थी। उन्हें परिवार का बोझ समझा जाता था। उनके जन्म पर पूरे घर में मातम-सा छा जाता था। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जाता था और ज्यादा-से-ज्यादा घर के कामों में लगाया जाता था। कई परिवार तो उनके जन्म होते ही उन्हें मार तक देते थे।  (ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं? उत्तर: आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ कुछ बदली हैं। शिक्षित परिवारों में लड़कियों का भी लड़कों के समान ही स्वागत होता है। उन्हें भी अच्छी तरह से पढ़ाया-लिखाया जाता है। पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने के लिए उन्हें कहीं भी भेजा जाता है। लेकिन लड़कियों के जन्म को रोकने के लिए आज भी जितनी भ्रूण हत्याएँ हो रही हैं, उन्हें अवश्य ही रोकने की जरूरत है। प्रश्न 2: लेखिका उर्दू फारसी क्यों नहीं सीख पाई? उत्तर : लेखिका को उर्दू-फा