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सूरदास के पद (कक्षा 8)

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सूरदास के पद पदों से प्रश्न 1: बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? उत्तर : यशोदा मैया बालक कृष्ण को ललचाती थीं कि यदि वह दही-माखन के बदले प्रतिदिन दूध पीएँगे तो उनकी चोटी भी बलराम भैया की चोटी की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी। कृष्ण अपने बाल बढ़ाना चाहते थे। इसलिए पसंद न होते हुए भी वे दूध पीने के लिए तैयार हुए।  प्रश्न 2: श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे? उत्तर :  श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि उनकी चोटी भी दाऊ बलराम की तरह लम्बी, मोटी हो जाएगी और वह नागिन के समान जमीन पर लहराएगी। प्रश्न 3: दूध की तुलना में श्री कृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं? उत्तर :  दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी खाना अधिक पसंद करते हैं। प्रश्न 4: 'तैं ही पूत अनोखौ जायौ'-- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं? उत्तर : 'तैं ही पूत अनोखौ जायौ'-- इस पंक्ति के माध्यम से ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या की भावना व क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। जहाँ वे एक तरफ कृष्ण जैसा पुत्र होने की वजह से मैया यशोदा

अकबरी लोटा

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                  अकबरी लोटा                                                       ---अन्नपूर्णानंद वर्मा कहानी की बात प्रश्न 1: "लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।" लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए। उत्तर : बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद न होने पर भी लाला झाऊलाल ने चुपचाप वह लोटा ले लिया क्योंकि वह पत्नी का अदब मानते थे। इसके अलावा अपनी पत्नी के सामने  वे हमेशा  कमजोर पड़ते थे। उन्हें डर था कि लोटे के बारे में कुछ कह दिया तो उनकी तेजतर्रार पत्नी भला-बुरा कहकर उन्हें अपमानित न कर दे। प्रश्न 2: "लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।"  आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें शामिल समझ ली होंगी? उत्तर : अपने हाथ से छूटे हुए लोटे की तलाश में जब झाऊलाल आँगन तक उतरे तो वहाँ भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी और सिर से पाँव तक भीगा हुआ एक अंग्रेज पैर के अंगूठे को सहलाते हुए गालियाँ बक रहा था। लाला जी समझ गए उन्हीं के लोटे के पानी से य

अनुच्छेद लेखन

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  अनुच्छेद लेखन   जीवन में खेलकूद का महत्व  खेल मानव की जन्मजात और स्वाभाविक प्रवृत्ति है। खेलों से ही मनुष्य का सही और स्वस्थ विकास होता है। आज बच्चों को जिस ढंग से शिक्षा दी जाती है, वह भी खेल से ही जुड़ी है। वर्तमान किंडर गार्टन और मोंटेसरी जैसी आधुनिक बाल शिक्षा पद्धति का विकास ही इसलिए हुआ है कि खेल-खेल में बच्चों को आसानी से शिक्षा दी जा सके। खेल का नाम सुनने मात्र से ही बच्चे प्रसन्न हो जाते हैं। खेलने से शरीर पुस्ट होता है। खेल खेलने से मनुष्य को संघर्ष करने की आदत पड़ती है। खेल से हार-जीत सहज लगने लगती है तथा एकाग्रता की शक्ति भी बढ़ती है। खेल हमारे जीवन में एक साथ अनुशासन, संगठन, सहयोग, साहस, विश्वास एवं सहनशीलता जैसे गुणों का विकास करता है और इनकी शिक्षा देता है। स्वामी विवेकानंद ने देश के नवयुवकों को बलवान बनने का संदेश दिया है और कहा है कि खेलों के द्वारा ही शरीर को स्वस्थ और बलवान बनाया जा सकता है। खेल स्वस्थ मनोरंजन का उत्तम माध्यम है। खिलाड़ियों को खेल के मैदान में सबसे अधिक आनंद प्राप्त होता है। इस दृष्टि से जीवन में खेलों का अत्यधिक महत्व है। =========================

लघुकथा

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                       मिट्टी का मोल "माँ! मैं बाहर खेलने जाऊँगा।" नन्हा निहाल अपनी माँ से कहते हुए  घर से बाहर निकलने लगा।  "नहीं बेटा, बाहर मिट्टी में खेलना ठीक नहीं है। तुम्हारे कपड़े गंदे हो जाएँगे। घर में ही खेलो।"  "नहीं माँ, मेरे साथी बाहर मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। मुझे जाने दो न माँ।" "अरे बहू! उसे जाने दो न। आखिर मिट्टी का भी उस पर उतना ही हक है, जितना तुम्हारा है उस पर।"  निहाल के दादाजी ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा। निहाल के दादा दीनानाथ जी किसी समय भारतीय सेना में मेजर थे। सीमा की रक्षा में दुश्मन की गोली खाकर उन्होंने देश की रक्षा की थी। निहाल में वह अपना ही रूप देखते थे। मन-ही-मन वे चाहते थे कि निहाल भी बहुत ऊँचा सैनिक अधिकारी बनकर देश की सेवा करे और परिवार और देश का सम्मान ऊँचा करे।                             *** आखिरकार उनका सपना सच हुआ। आज निहाल भारतीय वायु सेवा में चयनित होकर प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद जा रहा है। "चलता हूँ दादाजी! गाड़ी का समय हो रहा है।" यह कहते हुए निहाल ने दादाजी के चरण स्पर्श किए। बाहर निकलकर निह

बच्चे काम पर जा रहे हैं(प्रश्नोत्तर)

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   बच्चे काम पर जा रहे हैं                                    -- कवि: राजेश जोशी प्रश्न 1: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे लिखकर व्यक्त कीजिए। उत्तर : कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा उन पर विचार करने से हमारे मन-मस्तिष्क में बाल-मजदूरी करते बच्चों की एक करुण एवं  दयनीय तस्वीर उभरती है। मन में यह विचार आता है कि यह तो इन बच्चों की खेलने-कूदने की उम्र है, किंतु इन्हें भयंकर जाड़े के समय में और कोहरे में भी आराम नहीं है। उनका बचपन खो गया है। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ठंड के दिनों में सुबह-सुबह उठने के लिए और न चाहते हुए भी काम पर जाने के लिए ये बच्चे मज़बूर हैं। प्रश्न 2: कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए? उत्तर : कवि के अनुसार इसे प्रश्न की भाँति पूछा जाना चाहिए ताकि इसका कोई हल निकले। अक्सर हम समस्याओं को विवरण की तरह लिखते हैं, अतः कोई

जहाँ पहिया है(प्रश्नोत्तर)

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  जहाँ पहिया है            -- पी. साईनाथ   प्रश्न 1: "... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं..." आपके विचार से लेखक 'जंजीरों' द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है? उत्तर : लेखक 'जंजीरों' द्वारा उन सामाजिक समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं। हमारे समाज में अनेकों ऐसी समस्याएँ हैं, जैसे--   पुरानी रूढ़ीवादी विचार धारा,  निरक्षरता,  महिलाओं के प्रति भेदभाव आदि। प्रश्न 2: क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।  उत्तरः हम लेखक की बात से पूरी तरह से सहमत हैं। जब लोगों में अदम्य इच्छाशक्ति जागृत हो जाती है, तब वह जंजीर अथवा बंधनों से मुक्ति का कोई न कोई तरीका अवश्य खोज ही लेते हैं,  जैसे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता अथवा आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरम्भ किया और समाज में एक नई मिसाल रखी। प्रश्न 3: 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?  उत्तरः 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्ट

सुदामा चरित(प्रश्नोत्तर)

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  सुदामा चरित         --  नरोत्तमदास प्रश्न   1: सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।  उत्तर:   सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण अत्यंत व्याकुल हो गए। अपने मित्र की दुर्दशा देखकर वे रोने लगे। उनकी आँखों से इतने आँसू निकले कि उन आँसुओं से सुदामा के पैर धूल गए। प्रश्न 2: "पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।"-- पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर : श्रीकृष्ण ने अतिथि मित्र सुदामा के चरण धोने के लिए परात में पानी मँगवाया था। सुदामा के पैर धूल से सने थे तथा उनमें बहुत सारे काँटे भी गड़े हुए थे। श्रीकृष्ण अपने मित्र की इस दुर्दशा को देखकर अत्यंत व्याकुल हुए। उनकी आँखों से ऐसी अश्रुधारा निकल पड़ी कि इसीसे सुदामा के चरण धूल गए। उन्हें परात के पानी की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। प्रश्न 3:"चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।" (क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है? उत्तर : उपर्युक्त पंक्ति श्रीकृष्ण सुदामा से कह रहे हैं। (ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए। उत्तर : सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण को भेंट देन

जब सिनेमा ने बोलना सीखा(प्रश्नोत्तर)

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  जब सिनेमा ने बोलना सीखा                                                  -- प्रदीप तिवारी  प्रश्न 1: जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टर पर कौन से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे?  उत्तर : जब देश की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टर पर निम्नलिखित वाक्य छापे गए थे  "वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।" उपर्युक्त वाक्य से पता चलता है कि फिल्म में कुल मिलाकर 78(अठहत्तर) चेहरे थे। प्रश्न 2: पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने 'आलम आरा' फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया?  उत्तर :  पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म 'शो बोट' से मिली। उन्होंने 'आलम आरा' फिल्म के लिए आधार पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक से लिया। प्रश्न 3: विट्ठल का चयन 'आलम आरा' फिल्म के नायक के रूप में हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों

कामचोर (प्रश्नोत्तर)

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  कामचोर/ इस्मत चुगताई  प्रश्न 1: कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' किन के बारे में और क्यों कहा गया?  उत्तरः कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' घर के बच्चों के बारे में कहा गया है। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह इतने निठल्ले और कामचोर थे कि हिलकर पानी तक नहीं पीते थे। प्रश्न 2: बच्चों के उधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?  उत्तर : बच्चों के उधम मचाने के कारण घर में तूफान-सा आ गया। घर के बर्तन इधर-उधर बिखर गए। मुर्गियाँ और भेड़ें खुलकर सारे घर में इधर-उधर घूमने लगीं। सारा घर धूल से भर गया और धूल पर पानी छिड़कने से कीचड़ हो गई। भैंस ने तो घर का सारा हुलिया ही बिगाड़ दिया। पूरे घर का वातावरण अस्त-व्यस्त होकर रह गया। प्रश्न 3: "या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।" अम्मा ने कब कहा? इसका क्या परिणाम हुआ?  उत्तरः अम्मा ने उपर्युक्त पंक्ति को तब कहा था जब बच्चों की हरकतों के कारण घर में तूफान उठ खड़ा हुआ था। इसका परिणाम यह हुआ कि पिताजी ने बच्चों को घर की किसी भी चीज को हाथ न लगाने की हिदायत दे डाली। अतः बच्चे काम करने से बच गए। प्रश्न 4: &#

मैं क्यों लिखता हूँ?(प्रश्नोत्तर)

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    मैं क्यों लिखता हूँ?/ अज्ञेय   प्रश्न 1: लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? उत्तर : लेखक की मान्यता है कि सच्चा लेखन भीतरी विवशता से पैदा होता है। यह विवशता मन के अंदर से उपजी अनुभूति से जागती है, बाहर की घटनाओं को देखकर नहीं जागती। जब तक कवि-लेखकों  का हृदय किसी अनुभव के कारण पूरी तरह संवेदनशील नहीं होता और उसकी भावनाओं में अभिव्यक्त होने की पीड़ा पैदा नहीं होती, तब तक वह कुछ लिख नहीं पाता। प्रश्न 2: लेखक ने अपने आप को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?  उत्तरः लेखक एक दिन जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नजर एक पत्थर पर पड़ी, जिस पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाया होगा और उसकी छाया पत्थर पर छप गई होगी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई होगी। फिर उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा और लेखक स्वयं को उस घटना का भोक्ता महसूस करने लगा। प्रश्

मेघ आए (प्रश्नोत्तर)

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              मेघ आए                                    --- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना प्रश्न 1: बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए। उत्तरः बादलों के आने पर कवि ने प्रकृति की निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को चित्रित किया है-- (i) बादलरूपी मेहमान के आने की सूचना देने के लिए हवा का नाचते गाते चलना, (ii) धूल का घाघरा उठा कर भागना, (iii) पीपल के द्वारा झुककर बादल रूपी मेहमान का स्वागत करना, (iv) लताओं का पेड़ की शाखाओं में छुप जाना, (v) तालाबों का जल से भर जाना, (vi) आकाश में बिजली का चमकना आदि। प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्द किसके प्रतीक हैं?   धूल, पेड़, नदी, लता, ताल  उत्तर :  धूलः अतिथि के आगमन से अति उत्साहित चंचल बालिकाएँ पेड़ः ग्रामीण व्यक्ति जो शहरी दामाद के आने पर गर्दन उचका-उचका कर उसे देखता है  नदी : गाँव की युवती जो शहरी दामाद को आता देख उसे ठिठक-ठिठक कर देखती है लता: युवा पत्नी जो बहुत दिनों बाद बादलरूपी प्रियतम के आने से रूठी हुई है और किवाड़ की ओट से उसे देखती है ताल : मेहमान के स्वागत में उनके चरण धोने के लिए परात में लाया हुआ प

मेरे बचपन के दिन(प्रश्नोत्तर)

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   मेरे बचपन के दिन/ महादेवी वर्मा प्रश्न 1: "मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।"  इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -- (क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?  उत्तर : उस समय लड़कियों की अवस्था अच्छी नहीं थी। उन्हें परिवार का बोझ समझा जाता था। उनके जन्म पर पूरे घर में मातम-सा छा जाता था। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जाता था और ज्यादा-से-ज्यादा घर के कामों में लगाया जाता था। कई परिवार तो उनके जन्म होते ही उन्हें मार तक देते थे।  (ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं? उत्तर : आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ कुछ बदली हैं। शिक्षित परिवारों में लड़कियों का भी लड़कों के समान ही स्वागत होता है। उन्हें भी अच्छी तरह से पढ़ाया-लिखाया जाता है। पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने के लिए उन्हें कहीं भी भेजा जाता है। लेकिन लड़कियों के जन्म को रोकने के लिए आज भी जितनी भ्रूण हत्याएँ हो रही हैं, वह एक चिंता का विषय है और उन्हें अवश्य ही रोकने की जरूरत है। प्रश्न 2: लेखिका उर्दू फारसी क्यों नहीं सीख पाई

संस्कृति(प्रश्नोत्तर)

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        संस्कृति/ भदंत आनंद कौसल्यायन प्रश्न 1: लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है? उत्तर : लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है, क्योंकि हम इन दोनों बातों को एक ही समझते हैं या एक दूसरे में मिला लेते हैं। अक्सर इन दोनों शब्दों के साथ हम अनेक विशेषण भी लगा देते हैं। तब तो इनका अर्थ और भी अस्पष्ट हो जाता है। यह जानना जरूरी है कि क्या यह एक ही चीज है अथवा दो अलग चीजें हैं। और यदि दो हैं तो दोनों में अंतर क्या है? तभी सही बात समझ में आएगी। प्रश्न 2: आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? उत्तरः आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करती है और इसने मानव सभ्यता को नई दिशा दी है।   आग की खोज के पीछे पेट की ज्वाला अथवा भूख मिटाने की प्रवणता प्रेरणा रही होगी। प्रकाश तथा गर्मी पाने की प्रेरणा भी मिली होगी। जब मांस को अथवा अपने आहार को भूनकर खाने से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों मिला होगा, तब मनुष्य

नौबतखाने में इबादत(प्रश्नोत्तर)

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  नौबतखाने में इबादत            -- यतींद्र मिश्र  प्रश्न 1: शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है? उत्तर : शहनाई और  डुमराँव  दोनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड एक प्रकार की घास से बनाई जाती है, जो मुख्यतः  डुमराँव  में सोन नदी के किनारे पर पाई जाती है। इसके अतिरिक्त बिस्मिल्ला खाँ का जन्म स्थान भी  डुमराँव  है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ भी डुमराँव निवासी थे। इन कारणों से डुमराँव को शहनाई की दुनिया में याद किया जाता है। प्रश्न 2: बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है? उत्तरः   शहनाई को मंगल का परिवेश प्रतिष्ठित करने वाला वाद्ययंत्र माना जाता है। इसका प्रयोग विविध जगहों पर मांगलिक विधि-विधान के अवसर पर होता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। बिस्मिल्ला खाँ अस्सी वर्ष से भी अधिक समय तक शहनाई बजाते रहे। उनकी गणना भारत के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक के रूप में होती है। उन्होंने शहनाई को भारत ही नहीं, विश्वभर लोकप्रिय बनाया।  इसी कारण उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है। प

संगतकार (प्रश्नोत्तर)

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   संगतकार                -- मंगलेश डबराल प्रश्न 1: संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? उत्तर : संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत  करना चाह रहा है जो नेतृत्व स्थानीय व्यक्तियों की सफलता में पर्दे के पीछे रहकर अपना योगदान देते हैं। ये लोग बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान तो देते हैं परंतु लोगों की निगाह में नहीं आ पाते हैं अथवा सफलता के श्रेय से वंचित रह जाते हैं। मुख्य गायक की सफलता में साथी गायक, वाद्यवादक, अन्य कलाकार, ध्वनि एवं प्रकाश की व्यवस्था देखने वाले कर्मचारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है, परंतु उन्हें इसका श्रेय कभी नहीं मिल पाता है। प्रश्न 2: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं? उत्तर: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा भी बहुत सारे क्षेत्रों में दिखाई देते हैं; जैसे-- (i) खेल में जीत का श्रेय हमेशा अधिनायक को मिलता है, जबकि विजेता बनाने में अनेक खिलाड़ी, कोच एवं अन्य अनेक लोगों का योगदान भी होता है। (ii) राजनीति के क्षेत्र में जीत केवल किसी उम्मीदवार विशेष की होती है, परंतु

फसल (प्रश्नोत्तर)

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  फसल       -- नागार्जुन प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर:   कवि के अनुसार फसल-- (i) नदियों के पानी का जादू है। (ii) लाखों-करोड़ों किसान और मेहनती लोगों के द्वारा किए गए परिश्रम की गरिमा है। (iii) भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है। (iv) सूरज की किरणों का रूपांतर है।  (v) हवा की थिरकन का सहयोग है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?   उत्तरः कविता में फसल उपजाने के लिए प्रकृति और मनुष्य दोनों के पारस्परिक सहयोग की बात कही गई है, जो निम्नलिखित हैं-- (i) केवल एक-दो नदियों का नहीं, अपितु अनेक नदियों का पानी। (ii) लाखों करोड़ों किसान, मजदूर एवं मेहनती लोगों का परिश्रम। (iii) केवल एक-दो खेतों का नहीं, अपितु हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म। (iv) सूरज की किरणें। (v) हवा की थिरकन। प्रश्न 3: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर : कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूरज की किरणें और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसानों
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   यह दंतुरित मुस्कान                                      --- नागार्जुन   प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुस्कान पर कवि का मन मोहित हो जाता है। उसे लगता है यह मुस्कान एक मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल देगी। उस मुस्कान को देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल भी पिघल जाएगा। कवि को ऐसा लगता है मानो कमल का सुंदर फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया हो। प्रश्न 2: बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है? उत्तर : बच्चे की मुस्कान में मासूमियत होती है। उसकी मुस्कान में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होती। उसकी मुस्कुराहट में प्रसन्नता, खुशी और मस्ती की भावना भरी होती है। जबकि बड़े व्यक्ति की मुस्कान चालाकी भरी हो सकती है। उसकी मुस्कान में कोई उद्देश्य, स्वार्थ अथवा किसी के प्रति दुर्भावना भी हो सकती है। बच्चों की मुस्कान के साथ बड़ों की मुस्कान की तुलना नहीं हो सकती। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तरः कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य