अट नहीं रही है
अट नहीं रही है/ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रश्न 1: अट नहीं रही है' कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए: उत्तर : वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन करते हुए 'अट नहीं रही है' कविता में कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु में प्रकृति की सुंदरता अत्यधिक बढ़ गई है। चारों ओर फागुन की शोभा समाई हुई है। इस समय चारों ओर फूल खिलते हैं। फूलों की खुशबू प्रकृति को सुगंधित कर देती है। डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे फल, फूल और पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। प्रश्न 2: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तरः चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। ऐसा दृश्य देखकर प्रकृतिप्रेमी कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। इस समय पेड़ों की डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे-हरे पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। चारों ओर फूल खिले हैं। इसी कारण कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है। प्रश्न 3: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? उत्तरः फागुन में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय न अधिक सर्दी होती है, न ही अधिक गर्मी। प्रकृति इस समय धरती को हरा-भरा कर देती है। चारों