संदेश

अट नहीं रही है

  अट नहीं रही है/ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रश्न 1: अट नहीं रही है' कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए: उत्तर : वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन करते हुए 'अट नहीं रही है' कविता में कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु में प्रकृति की सुंदरता अत्यधिक बढ़ गई है। चारों ओर फागुन की शोभा समाई हुई है। इस समय चारों ओर फूल खिलते हैं। फूलों की खुशबू प्रकृति को सुगंधित कर देती है। डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे फल, फूल और पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। प्रश्न 2: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तरः चारों ओर फागुन का सौंदर्य बिखरा हुआ है। ऐसा दृश्य देखकर प्रकृतिप्रेमी कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। इस समय पेड़ों की डालियाँ कहीं लाल तो कहीं हरे-हरे पत्तों से लदी दिखाई देती हैं। चारों ओर फूल खिले हैं। इसी कारण कवि की आँख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है। प्रश्न 3: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? उत्तरः फागुन में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय न अधिक सर्दी होती है, न ही अधिक गर्मी। प्रकृति इस समय धरती को हरा-भरा कर देती है। चारों

साना साना हाथ जोड़ि.../मधु काँकरिया

  साना साना हाथ जोड़ि...                     -- मधु काँकरिया  प्रश्न 1: झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? उत्तर : गंतोक शहर की एक झलक ने ही लेखिका को सम्मोहित कर लिया था। रात्रि के समय जगमगाते प्रकाश के कारण शहर अत्यंत सुंदर नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे आकाश के सारे तारे नीचे बिखर कर जमीन पर टिमटिमा रहे हैं। तराई में तारों के गुच्छों की झालर-सी लटकती दिखाई दे रही थी। प्रश्न 2: गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया? उत्तर : गंतोक को सुंदर बनाने में यहाँ के श्रमिक वर्ग के साथ-साथ यहाँ के परिश्रमी निवासी, पुरुष-महिला आदि सभीका काफी योगदान है। उन्हीं के श्रम के बल पर सिक्किम और गंतोक को अद्भुत सुंदरता मिली है। इसलिए लेखिका ने गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है।  प्रश्न 3: कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है? उत्तर : बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा मंदिर, घर अथवा किसी अन्य स्थल पर दो तरह की पताकाएँ फहराई जाती हैं। सफेद झंडे फहराना जहाँ एक ओर शांति और अहिंसा के अवसरों क

सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ

   सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ 1. भारत को आजादी सन् 1947 में मिली, जबकि सिक्किम 1974 तक अलग देश की पहचान रखता था। सन् 1975 में सिक्किम के प्रधानमंत्री ने भारतीय संसद से अनुरोध किया कि वो भारत का अंग बनना चाहता है, और इसके लिए जो जरूरी कदम हैं, वो उठाए जाएँ। आखिरकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वाँ राज्य बना। 2. सिक्किम भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। ये पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ राज्‍य है। सिक्किम में दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। 3. बहुतायत: नेपाली मूल के लोगों की जनसंख्या वाला सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ के स्थानीय लोग अलग देश के मूल निवासी हैं। सिक्किम में रहने वाले अधिकतर लोग नेपाली मूल के हैं। 4. छंग यहाँ का स्थानीय मद्य है, जो खास मौके पर पिया जाता है. ये शराब बाँस से बनती है। 5. सिक्किम में हर साल मार्च से मई माह के बीच अंतर्राष्ट्रीय पुष्प महोत्सव का आयोजन होता है। इस छोटे से राज्य में 600 तरह के पुष्प मिलते हैं, जो 240 तरह के पेड़-पौधे. सिक्किम प्राकृतिक रूप से भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। 6. सिक्किम पक्षियों के लिए स्

मेरे संग की औरतें

  मेरे संग की औरतें/ --- मृदुला गर्ग प्रश्न 1: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं? उत्तर : लेखिका की नानी भारतीय रहन-सहन और भारतीय संस्कृति में ढली हुई महिला थीं। विलायती रीति-रिवाजों में रह रहे उनके पति अर्थात नाना जी का भी उन पर कोई असर अथवा प्रभाव नहीं पड़ा। देश की आजादी से जुड़े देशप्रेमी सिपाहियों के प्रति  नानी के मन में विशेष लगाव था। नानी स्वतंत्र विचार रखने वाली, दृढ़ स्वभाव की, देशभक्ति की भावना से प्रेरित एक महिला थीं। उनके चरित्र और व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के कारण लेखिका अपनी नानी से प्रभावित थीं। प्रश्न 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही? उत्तर: लेखिका की नानी घरेलू काम-काजों में व्यस्त, पारंपरिक रीति-रिवाजों को मानने वाली, पर्दानशीं एवं शर्मीली स्वभाव की नारी थीं। इसके बावजूद नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से बात कर अपनी बेटी के लिए दामाद के रूप में आजादी का सिपाही ढूँढ़ा और उसके हाथ पीले कराए। इस तरह उसने अपने कर्तव्य का ही निर्वाह नहीं किया, बल्कि अपनी देशभक्ति का भ

तिब्बत के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  तिब्बत के बारे में विस्मित कर देने वाले कुछ रोचक तथ्य तिब्बत समुद्र-तट से तीन मील की ऊँचाई पर स्थित एक धार्मिक देश है जहाँ बौद्ध धर्म का खूब विकास हुआ। यूँ तो तिब्बत के बारे में बहुत-सी बातें बताई जा सकती हैं, परंतु यहाँ उसके बारे में कुछ अत्यंत रोचक तथ्य प्रस्तुत  किए जा रहे हैं। 1. दुनिया की कुल 46% आबादी तिब्बत से उत्पन्न होने वाली पाँच मुख्य नदियों पर निर्भर करती है। 2. हिमालयन मोनाल तिब्बत का राष्ट्रीय पक्षी है। 3. ‘जौ’ तिब्बत में पैदा होने वाली सबसे मुख्य फसल है। जौ से बने आटे से ‘संपा’ बनाया जाता है जो तिब्बत के लोगों का सबसे मुख्य खाद्य पदार्थ है। यहाँ मांसाहार ज़्यादातर याक, बकरी और मटन से मिलता है। 4. तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत सारे ऊँचे पर्वत शिखर हैं। तिब्बत समुद्र के लेवल से लगभग साढ़े चार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। 5. तिब्बत में कोई भी KFC नहीं है, क्योंकि दलाई लामा ने उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे मुर्गियों को बड़े पैमाने पर मारने से तिब्बत की पारंपरिक मूल्यों का उल्लंघन होता है। 6. सन् 2005 में फ

कैदी और कोकिला/ माखनलाल चतुर्वेदी

चित्र
  कैदी और कोकिला                         -- माखनलाल चतुर्वेदी प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर : कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा जैसे कोयल उसके लिए किसी का कोई संदेशा लेकर आई है। कवि को ऐसा लगता है कि वह संदेशा शायद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए कोयल सुबह होने की प्रतीक्षा भी न कर सकी और अर्धरात्रि को ही संदेशा देने कवि के पास पहुँची। प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर : कवि ने कोकिल के बोलने के कई कारणों की संभावना व्यक्त की है। उनके अनुसार-- (i) कोयल शायद कोई बहुत जरूरी संदेशा लेकर आई हो। (ii) उसने कहीं किसी क्रांति के दावानल की ज्वाला देख ली हो और उसकी खबर देने आई हो। (iii) देशवासियों में मधुर विद्रोह बीज बोने के लिए बोल उठी हो । (iv) अंग्रेज शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो। (v) कैदियों के मन में देशभक्ति की भावना जगाने आई हो। प्रश्न 3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ? उत्तर : कविता में अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों प

उपभोक्तावाद की संस्कृति/ श्यामाचरण दुबे

चित्र
  उपभोक्तावाद की संस्कृति                       लेखक: श्यामाचरण दुबे प्रश्न 1: लेखक के अनुसार जीवन में 'सुख' का अभिप्राय क्या है? उत्तर : लेखक के अनुसार विविध भोग विलास की सामग्रियों का प्रयोग, शारीरिक सुख, सुंदरता बढ़ाने के साधनों का प्रयोग, भ्रमण विलास, सुविधासंपन्न भवनों में निवास आदि को ही वास्तविक सुख नहीं माना जाना चाहिए। 'सुख' से लेखक का अभिप्राय नैतिक मूल्यों के अनुसार जीवन-यापन, मानसिक शांति, परोपकारपूर्ण कार्य से प्राप्त सुख से है। प्रश्न 2: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर : आज की उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे दैनिक जीवन को जाने-अनजाने भीतर से ही खोखला कर दिया है। आज हम कोई सामान खरीदते समय आकर्षक विज्ञापन, विलासिता और दिखावटी सौंदर्य की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसकी गुणवत्ता, उपयोगिता और आवश्यकता पर ध्यान नहीं देते। विज्ञापनों के प्रभाव से सारा समाज दिशाहीन हो गया है और अपने लक्ष्य से भटक गया है। प्रश्न 3: गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? उत्तरः गांधीजी ने बहुत पहले

एक कहानी यह भी/ मन्नू भंडारी

चित्र
एक कहानी यह भी                --मन्नू भंडारी  प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिताजी, हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल, पिताजी के घनिष्ठ मित्र डॉक्टर अंबालाल से लेकर अनेक लोगों का प्रभाव पड़ा। पिताजी से लेखिका ने घर, समाज--- हर कहीं अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की सीख ली। हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उनमें पुस्तकों के चयन के साथ-साथ विभिन्न साहित्य और साहित्यकारों के प्रति रुचि ही उत्पन्न नहीं की, चारदीवारी में रह रही लेखिका में खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का जोश भी भरा। डॉ अंबालाल जी ने भी उनके भाषण और साहस का समर्थन कर हौसला बढ़ाया। प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तरः इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर इसलिए संबोधित किया है, क्योंकि उनका मानना है कि निरंतर रसोई में अपना समय अथवा पूरा जीवन व्यतीत करने से महिलाओं की प्रतिभा और क्षमता रसोई की भट्टी में ही जलकर राख हो जाती है। उन्हें रसोई

लखनवी अंदाज/यशपाल

चित्र
    लखनवी अंदाज             लेखक: यशपाल प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर : डिब्बे में अचानक लेखक के प्रवेश करने से सफेदपोश नवाब साहब की आँखों में और उनके एकांत चिंतन में बाधा पड़ने का असंतोष दिखाई दिया। उन्होंने लेखक के साथ बिना बात किए देर तक खिड़की से बाहर देखा। लेखक के साथ संगति के लिए उन्होंने कोई उत्साह भी नहीं दिखाया। नवाब साहब के इन्हीं हाव-भावों से लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं। प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? उत्तर : नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का, उन्हें बेहद स्वादिष्ट बनाया और अंत में सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि लेखक को उनकी अमीरी दिखे अथवा खानदानी रइसी का पता चले। इससे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्

विशेष प्रस्तुति

चित्र
  विशेष प्रस्तुति (एंजल बजाज) आज 30 जुलाई 2024 मंगलवार के दिन कबीर साहित्य समाज हिंदी क्लब द्वारा आयोजित प्रातःकालीन इस विशेष प्रार्थना सभा की विशेष प्रस्तुति लेकर उपस्थित हूँ -- मैं एंजेल बजाज और इस विशेष प्रस्तुति की विषयवस्तु है -- 'अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस'। आज 30 जुलाई अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस का अवसर है। महाभारत, रामायण आदि ग्रन्थों में और कृष्ण-सुदामा, राम-सुग्रीव, कर्ण-दुर्योधन जैसी अगणित मित्रता संबंधी कहानियों को सुनकर पले बढ़े हम एक से बढ़कर एक मित्रता संबंधित प्रसंगों को जानते हैं। आइए इसी कड़ी में आज सुनते हैं ग्रीक-रोमन मायथोलोजी से जुड़ा मित्रता का महत्व दर्शाता भावुक कर देनेवाला एक प्रसंग, जो इस प्रकार है: बहुत पुरानी बात है। सिसिली द्वीप के सरोक्यूज नामक नगर में दो गहरे मित्र थे। एक का नाम डामन और दूसरे का पेथियस था। दोनों की मित्रता की मिसाल दूर-दूर तक दी जाती थी। उन दिनों सिसिली पर एक अत्यंत क्रूर तथा धूर्त राजा का शासन था। उसका नाम डायनोसस था। क्रूर डायनोसस से पूरी प्रजा घृणा करती थी, लेकिन डर के कारण कुछ नहीं बोलती थी। एक दिन डामन से उसका अत्याचार नहीं

अनुच्छेद लेखन/कक्षा नौ

चित्र
   अनुच्छेद लेखन  1. आलस्य: मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु शारीरिक, मानसिक अथवा तन-मन की उत्साहहीनता, कर्म न करने की प्रवृत्ति, काम को टालने की आदत आदि को आलस्य कहते हैं। आलसी व्यक्ति परिश्रम से हमेशा जी चुराते हैं, आराम से पड़े रहना चाहते है। आलस्य हमारा परम शत्रु है क्योंकि वह सब प्रकार के कष्टों का जनक है। आलस्य हमें दरिद्र बनाता है क्योंकि आलसी व्यक्ति परिश्रम नहीं करता। आलस्य उन्नति तथा प्रगति का बाधक है क्योंकि प्रगति होती है योजनाबद्ध कार्य करने से और आलसी व्यक्ति मानसिक शिथिलता के कारण योजना नहीं बना पाता और शारीरिक शिथिलता के कारण योजना को पूरा नहीं कर पाता। विद्यार्थी आलस के कारण नियमित रूप से अध्ययन नहीं करता और कक्षा में फिसड्डी रह जाता है। वार्षिक  परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता। सरकारी कार्यालय में काम करने वाला आलसी कर्मचारी ठीक से काम न करने के कारण पदोन्नति नहीं पाता। व्यापारी आलस्य के कारण समय पर खरीदार को अपना माल-सामान नहीं पहुँचाता, इससे उसका काम ठप्प हो जाता है। आलसी व्यक्ति खटिया पर पड़ा आराम करता है या गहरी नींद में सोया रहता है तथा कुम्भकर्ण की संज्ञा पाता है। स्वस

व्याकरण प्रश्नोत्तरी / कक्षा नौ

चित्र
  व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रश्न 1: अलंकार किसे कहते हैं? उत्तर: काव्य की सुंदरता बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं। प्रश्न 2: अलंकार पहचानिए: (क) बरसत बारिद बूँद  उत्तरः अनुप्रास अलंकार (ख) तू मोहन के उर बसी ह्वै उरबसी समान  उत्तर: यमक अलंकार (ग) रघुपति राघव राजा राम  उत्तरः अनुप्रास अलंकार  (घ) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं  उत्तरः रूपक अलंकार (ङ) कर कमल-सा कोमल है  उत्तरः उपमा अलंकार (च) जलता है यह जीवन-पतंग  उत्तर: रूपक अलंकार (छ) काली घटा का घमंड घटा  उत्तरः यमक अलंकार (ज) कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय  उत्तरः यमक अलंकार (झ) पीपर पात सरिस मन डोला  उत्तरः उपमा अलंकार (ञ) फूलों-सा चेहरा तेरा कलियों-सी मुस्कान है  उत्तरः उपमा अलंकार प्रश्न 3: अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?  उत्तरः जहाँ वर्णों की पुनरावृत्ति के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न हो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।  प्रश्न 4: दो शब्दालंकारों के नाम लिखिए।  उत्तरः अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार प्रश्न 5: रूपक अलंकार शब्दालंकार है या अर्थालंकार?  उत्तरः अर्थालंकार प्रश्न 6: पायो री मैंने राम-रतनधन पायो -- अलंकार पहचानिए। उत्

व्याकरण प्रश्नोत्तरी/ कक्षा 10

चित्र
  व्याकरण प्रश्नोत्तरी   प्रश्न 1: बात हुई किंतु उसे मना नहीं सका। -- वाक्य पहचानिए: उत्तरः संयुक्त वाक्य प्रश्न 2: संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं? उत्तर : जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य योजक अथवा समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। प्रश्न 3: जहाँ से आए थे वहीं चले जाओ । -- रेखांकित उपवाक्य पहचानिए। उत्तर : प्रधान उपवाक्य प्रश्न 4: रात हुई किंतु चाँद नहीं निकला। -- वाक्य पहचानिए। उत्तर : संयुक्त वाक्य प्रश्न 5: यदि मैं न आया होता तो काम न बनता। -- वाक्य पहचानिए। उत्तर: मिश्र वाक्य प्रश्न 6: जहाँ से आए थे वहीं चले जाओ। -- रेखांकित उपवाक्य पहचानिए। उत्तर : आश्रित उपवाक्य प्रश्न 7: सरल वाक्य किसे कहते हैं? उत्तर : जिन वाक्यों में सिर्फ एक ही मुख्य क्रिया हो, उन्हें सरल वाक्य अथवा साधारण वाक्य कहते हैं। प्रश्न 8: संयुक्त वाक्य में संलग्न उपवाक्य किन योजक शब्दों से जुड़े होते हैं?  उत्तरः तथा, और, या, एवं, अथवा, अन्यथा, किंतु, लेकिन, वरना, अतः, इसलिए आदि। प्रश्न 9: मिश्र वाक्य की परिभाषा लिखिए।  उत्तरः जिन वाक्यों में एक से अधिक उपवाक्य होत

पद परिचय (प्रश्नोत्तर)

चित्र
  पद परिचय प्रश्न 1: पद किसे कहते हैं? उत्तर : वाक्य में प्रयुक्त शब्दों को  पद  कहते हैं। प्रश्न 2: पद परिचय की परिभाषा दीजिए: उत्तर:  पदों का व्याकरणिक परिचय देना  'पद परिचय'  कहलाता है। प्रश्न 3: हिंदी में पद कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए: उत्तर:  हिंदी में पद  पाँच  प्रकार के होते हैं। वे हैं:  (क) संज्ञा (ख) सर्वनाम (ग) विशेषण (घ) क्रिया और  (ङ) अव्यय।  प्रश्न 4: संज्ञा किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं? परिभाषा सहित सविस्तार लिखिए: उत्तर:  किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण अथवा भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को  संज्ञा  कहते हैं। जैसे:  लड़का  चला गया। गाय   दूध  देती है। अलमारी  में  कपड़े  रखे हैं।  राजेश  दसवीं  कक्षा  में पढ़ता है। काठमांडू   नेपाल  की  राजधानी  है। साहस  को सभी  गुणों  में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। संज्ञा के  ३(तीन ) भेद होते हैं। वे हैं--- (क) जातिवाचक संज्ञा, (ख) व्यक्तिवाचक संज्ञा और  (ग) भाववाचक संज्ञा (क) जातिवाचक संज्ञा : जिस संज्ञा शब्द से किसी जाति की सभी वस्तुओं का अथवा सारी जाति या समुदाय का बोध हो, उसे  जातिवाचक संज्ञा  कहते

अलंकार (कक्षा: दस)

चित्र
    अलंकार प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: अलंकार किसे कहते हैं? इसके मुख्यतः कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए: उत्तर : काव्य की शोभा या सुंदरता बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं। इसके मुख्यतः दो भेद हैंं --- (क) शब्दालंकार और (ख) अर्थालंकार प्रश्न 2: शब्दालंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए: उत्तर : जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण वाक्य अथवा काव्य में आकर्षण अथवा चमत्कार आ जाता है, उसे शब्दालंकार कहते हैं। जैसे: --- रघुपति राघव राजा राम --- काली घटा का घमंड घटा --- मंगन को देखी पट देत बार-बार  प्रश्न 3: कुछ प्रमुख शब्दालंकारों के नाम लिखिए: उत्तर : कुछ प्रमुख शब्दालंकार हैं: (क) अनुप्रास अलंकार, (ख) यमक अलंकार, (ग) श्लेष अलंकार, (घ) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार (ङ) वक्रोक्ति अलंकार आदि। प्रश्न 4: श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित समझाइए: उत्तर : ' श्लेष ' शब्द का अर्थ है ' चिपकना '। जहाँ वाक्य में एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने के बावजूद दो या दो से अधिक अर्थ दे, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे: (क) मंगन को देखी पट देत बार-बार  (पट= दरवाजा, वस्त्र) (ख) को

समास (प्रश्नोत्तर)

चित्र
     समास   प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: समास, समस्तपद और समास-विग्रह किसे कहते हैं? समझाइए: उत्तर : दो या दो से अधिक शब्द अथवा शब्द समूहों के मेल से नए शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते हैं। इस विधि से बने शब्दों को समस्तपद कहते हैं। जब समस्तपदों को पृथक किया जाता है, उसे समास विग्रह कहते हैं। जैसे: रसोईघर ---- रसोई के लिए घर नवग्रह ------ नौ ग्रहों का समूह त्रिलोचन ---- तीन हैं लोचन जिसके अर्थात शिव हानि-लाभ ---हानि और लाभ महात्मा ------ महान है जो आत्मा प्रश्न 2: समास के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए: उत्तर : समास के ६ (छह) भेद हैं। उनके नाम हैं: (क) अव्ययीभाव समास, (ख) तत्पुरुष समास, (ग) कर्मधारय समास, (घ) द्विगु समास, (ङ) द्वंद्व समास और  (च) बहुव्रीहि समास प्रश्न 3: अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए: उत्तर : जिस समास में समस्तपद का पहला पद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसका पहला पद प्रधान होता है। इस प्रक्रिया से बना समस्तपद भी अव्यय की भाँति कार्य करता है। जैसे: (i)    प्रतिदिन ---- प्रत्येक दिन  (ii)    आजन्म ---- जन्म से लेकर  (iii)  आजीवन --- ज